अनुवाद- राजेश कुमार झा
कवि परिचय- शर्को बेकस–जन्म 1940, मृत्यु-2013. ईराक के कुर्द बहुल सुलेमानिया प्रांत में जन्मे शर्कों बेकस कुर्दिस्तान की आजादी के लिए आंदोलन में शामिल रहे हैं। उन्होंने कई सालों तक स्वीडेन में निर्वासित जीवन व्यतीत किया है। बेकस ने कुर्दी भाषा में कविता की नयी शैली की शुरूआत की। कवि के रूप में शर्कों बेकस की तुलना पाब्लो नेरूदा और नाजिम हिकमत से की जाती है।
बुदबुदाते हुए
शाम हो चुकी थी,
दमिश्क शहर के बीचो बीच विशाल चौराहे के किसी कोने में,
जूतों से बनी अपनी छोटी सी कुर्सी पर बैठा,
थका हारा, सर को झुकाए,
नन्हा मोची हमा बुदबुदा रहा था।
अपने हाथ में पकड़े ब्रश की तरह
कांप रहा था उसका घिसापिटा बदन।
बेघर, नन्हा हमा,
खुद से बुदबुदा रहा था-
‘व्यापारी साहब, पांव यहां रखिए,
महानुभाव शिक्षक, आप यहां रखिए,
अफसर, कमांडर, धोखेबाज, खूनी,
अच्छे लड़के, नाकारा लड़के,
सब इधर, एक के बाद एक,
अपने पैर इधर रखिए।‘
भगवान के सिवा अब कोई न बचा।
मुझे यकीन है कि जन्नत में भी खुदा
अपने जूतों की पॉलिश के लिए किसी कुर्दी को ही बुलाएगा।
शायद वो कुर्दी होऊं मैं ही!
अम्मी, मैं कभी सोचता हूं,
कितने बड़े होंगे भगवान के पांव,
किस नंबर के जूते पहनते होंगे वे,
सोचता हूं, कितना देंगे वे मुझे,
कितने पैसे मिलेंगे मुझे।
(वागर्थ, फरवरी 2018 में प्रकाशित)
Murmuring to Himself-Sherko Bekas-Kurdistan-English Text

प्रेमगीत
ऐसा पहली बार हुआ कि
गन्ने ने अपने खेत के खिलाफ कर दिया विद्रोह,
छरहरी, गेहुंएं रंग की बाला,
दे चुकी थी अपना दिल हवाओं को,
लेकिन जमीन को मंजूर न था उनका रिश्ता।
प्यार में डूबे गन्ने ने कहा,
बराबरी नहीं हो सकती किसी की उससे,
मेरा दिल तो उसी में रमा है।
ओस में भींग चुकी थी उसकी पलकें,
लेकिन जमीन थी गुस्से में लाल,
सजा दिलवाने गन्ने को,
बुलाया उसने कठफोड़वे को,
पौधे के दिल और बदन पर,
कर डाले उसने कुछ छेद।
उसी दिन से वह बन गयी बांसुरी,
उसके घावों में हवा के हाथों ने भर दिया संगीत,
तभी से वह गुनगुना रही है,
जहां भर के लिए।
(वागर्थ, फरवरी 2018 में प्रकाशित)
Love Song-Sherko Bekas-Kurdistan-Englisht Text
विछोह
निकाल दो फूल अगर मेरी कविताओं से,
चार में से एक ऋतु मर जाएगी।
निकाल लो अगर हवा,
दो ऋतुओं की हो जाएगी मौत।
निकाल दो अगर कविता से रोटी,
मर जाएगी तीन ऋतुएं।
निकाल दो आजादी मेरी कविता से,
सभी ऋतुएं मर जाएंगी और मैं भी।
(नया ज्ञानोदय, साहित्य वार्षिकी, हमारा काल-हमारी कविता, जनवरी 2018 में प्रकाशित)
Separation-Sherko Bekas-Kurdistan-English Text
जड़ें
आसमान में हुई पंछियों की हत्या, मगर
तारों ने, हवाओं और सूरज ने भी
नहीं देखा हो हत्यारे को,
उफक भी कर ले गर बंद अपने कान,
पहाड़ और नदियां भी भुला दें अपनी याद्दाश्त,
फिर भी,
कम से कम एक पेड़ तो होना चाहिए,
जो गवाह हो उनकी मौत का,
और दर्ज कर ले उनका नाम,
अपनी जड़ों में।
(नया ज्ञानोदय, साहित्य वार्षिकी, हमारा काल-हमारी कविता, जनवरी 2018 में प्रकाशित)
Roots-Sherko Bekas-Kurdistan-English Text
तुलना
इतिहास आया,
उसने खड़ी की अपनी महानता,
तुम्हारी यातनाओं के बरक्स।
तुम्हारी यातनाएं ऊंची थी उसकी महानता से,
बस उंगली भर।
समंदर ने चाही मापनी,
अपनी गहराई तुम्हारे घावों के बरक्स।
डर से चीख उठा वह,
कहीं डूब न जाऊं इनमें।
Comparison-Sherko Bekas-Kurdistan-English Text
दर्द
मैं दर्द की मीनार हूं,
मुझे किसी दूसरे दर्द के कंधे पर सवार होने की जरूरत नहीं।
थोड़ी सी गरदन उठाऊं अगर,
देख सकता हूं
हर तरफ पसरा हुआ घाव,
और गरीब देख सकते हैं मुझे
चाहे जहां भी हों वे।
(वागर्थ, फरवरी 2018 में प्रकाशित)
Pain-Sherko Bekas-Kurdistan-English Text

नाव
मेरा दिल है जैसे कोई नाव,
जिसकी पेंदी में हैं कई छेद।
बार बार घुस आता है पानी अंदर,
उलीचता रहता हूं,
बाल्टी भर पुराने ग़म,
भर आते हैं फिर नए ग़म बार बार।
इस रात के तूफान में,
न ही ये बेचैन नाव डूबती है,
न लगती है किनारे।
(वागर्थ, फरवरी 2018 में प्रकाशित)
Boat-Sherko Bekas-Kurdistan-English Text
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