लैंग्सटन ह्यूजेज (1902-1967)- प्रसिद्ध अश्वेत कवि, नाटककार तथा उपन्यासकार। बीसवीं सदी के आरंभ में अमेरिका में शुरु हुए हारलेम प्रतिरोध के पुरोधा कवि। अश्वेत रचनाधर्मिता को नया रंग देने तथा साहित्य के एक नए सौंदर्यबोध का सृजन करने वाले कवि के रूप में विख्यात। खूबसूरत ज़िंदगी (अनुवाद- राजेश कुमार झा) नदी के किनारे पहुँच... Continue Reading →
अंधायुग (बर्त्तोल ब्रेख्त)
(बर्त्तोल ब्रेख्त- 20वीं सदी के महान कवि, नाटककार तथा निर्देशक। जन्म- जर्मनी 1898, मृत्यु-1956। ब्रेख़्त ने नाटकों को एक नयी शैली प्रदान की। मदर करेज और थ्री पेनी ओपेरा उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। इनकी रचनाओं में शांति की पक्षधरता तथा फासीवाद एवं युद्ध विरोधी स्वर मुखर रूप में दिखाई देता है।) अंधायुग (बर्त्तोल ब्रेख्त)... Continue Reading →
कयामत के दिन भी/लोक-परलोक (सेसलॉ मिलोज)
सेसलॉ मिलोज (१९११-२००४)। महान पोलिश कवि। १९६० से अमेरिका में निर्वासित जीवन व्यतीत करते हुए बर्कले विश्वविद्यालय में पोलिश भाषा का अध्यापन। १९८० में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित। मिलोज की कविताओं में मानवीय स्वतंत्रता और आत्मिक तथा बाह्य दोनों प्रकार के निर्वासन की पीड़ा के गहरे स्वर सुनाई देते हैं। 1. कयामत के दिन भी... Continue Reading →
महमूद दरवेश की कविताएं (फिलिस्तीन)
महमूद दरविश (1942 – 2008) महान फिलिस्तीनी कवि तथा लेखक। अपनी रचनाओं के लिए उन्हें फिलिस्तीन का राष्ट्र-कवि माना जाता है। उनकी रचनाओं में फिलिस्तीनी जनता के अपनी जमीन से उखड़ने और उनके संघर्षों की त्रासदी दिखाई देती है। उन्होंने लंबे समय तक पेरिस तथा बेरुत में निर्वासित जीवन व्यतीत किया। साहित्यिक जगत... Continue Reading →
पाब्लो नेरूदा की कविता
मृत्यु (पाब्लो नेरूदा) (अनुवादः राजेश कुमार झा) सूने कब्रिस्तान निस्पंद, अस्थिपूरित कब्रें, मन की अंधेरी गहराइयां, अंधकार, अंधकार, अंधकार, गहन झंझावात में डूबती नैया- मृत्यु घेरती है अंतस्तल को, जैसे घुट रहा है गला दिल ही दिल में, जैसे अपनी ही त्वचा से पलायन करता प्राण, हौले हौले। बिछे हैं शव, चिपचिपे मृत्युप्रस्तर की कंपकंपाहट, अस्थियों... Continue Reading →
औरत/ नदी (उज्वला सामर्थ)
(अनुवाद: राजेश कुमार झा) औरत हूँ मैं और इसीलिए नदी भी। बहती आई हूँ सदियों से, ढोती पीढ़ियों की गाद। झेली है मैंने टूटी उम्मीदों की बेशर्म चुभन, अचानक बेघर होने का दर्द, थके मांदे लोगों का बुझा बुझा आक्रोश। लोरियां गाकर सुलाया है मैंने अपराधी अस्थि-पंजरों को, मगर साथ ही जानती हूँ मैं... Continue Reading →
माया एंजेलॉ की कविताएं
माया एंजेलॉ (1928-2014) प्रख्यात अमेरिकी अश्वेत कवयित्री। कविता के अलावा लेखन, नृत्य, अभिनय तथा गायन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान। सात खंडों में प्रकाशित आत्मकथा ने इन्हें दुनिया भर में विशेष ख्याति दिलवाई। एंजेलॉ की रचनाएं अमरीका के अश्वेत लोगों की समस्याओं और अश्वेत संस्कृति के विभिन्न आयामों की एक सशक्त अभिव्यक्ति मानी जाती... Continue Reading →
Korean Snippets
Rajesh K. Jha The Lady who wanted to be Photographed with me It was a typically middle class market in Seoul. Perhaps something like the Sarojini Nagar or the Janpath market in Delhi which operate on the roadside. There were of course fancy shops on each side of the road but the real activity was on... Continue Reading →