दनुशा लमेरिस अमरीका में रहती हैं। उनकी कविताओं के संग्रह The Moons of August को 2013 में Autumn House Press पुरस्कार के लिए चुना गया था। वे कहती हैं कि अपनी भाषा नहीं बोल पाना एक तरह का देश-निकाला है जिसका व्यक्ति पर गहरा असर होता है। उनकी दो कविताओं का अनुवाद
शर्को बेकस की कविताएं ( कुर्दिस्तान)
शर्को बेकस-जन्म 1940, मृत्यु-2013. ईराक के कुर्द बहुल सुलेमानिया प्रांत में जन्मे शर्कों बेकस कुर्दिस्तान की आजादी के लिए आंदोलन में शामिल रहे हैं। उन्होंने कई सालों तक स्वीडेन में निर्वासित जीवन व्यतीत किया है। बेकस ने कुर्दी भाषा में कविता की नयी शैली की शुरूआत की। कवि के रूप में शर्कों बेकस की तुलना पाब्लो नेरूदा और नाजिम हिकमत से की जाती है। उनकी कुछ कविताओं का हिंदी अनुवाद।
निज़ार कब्बानी की कविताएं
Nizar Qabbani (1923-1998), Syrian poet and diplomat. His poetic style combines simplicity and elegance in exploring themes of love, eroticism, feminism, religion, and Arab nationalism. Qabbani is one of the most revered contemporary poets in the Arab world. Here are three of his poems translated into Hindi (from English translations)
महमूद दरवेश की कविताएं (फिलिस्तीन)
महमूद दरविश (1942 – 2008) महान फिलिस्तीनी कवि तथा लेखक। अपनी रचनाओं के लिए उन्हें फिलिस्तीन का राष्ट्र-कवि माना जाता है। उनकी रचनाओं में फिलिस्तीनी जनता के अपनी जमीन से उखड़ने और उनके संघर्षों की त्रासदी दिखाई देती है। उन्होंने लंबे समय तक पेरिस तथा बेरुत में निर्वासित जीवन व्यतीत किया। साहित्यिक जगत... Continue Reading →