बेन ओकरी
प्रसिद्ध अफ्रीकी साहित्यकार। जन्म- नाइजीरिया, 1959। कवि और उपन्यासकार के रूप में बेन ओकरी को आधुनिककाल के महान लेखकों में गिना जाता है। उपन्यास दि फैमिश्ड रोड के लिए 1991 में बुकर पुरस्कार से सम्मानित। आलोचकों ने ओकरी की तुलना मार्केज से की है और उनकी रचनाओं में मैजिक रिएलिज्म के तत्व गिनाए हैं। कुछ लोग उन्हे उत्तर-आधुनिकतावादी कवि और लेखक मानते है लेकिन ओकरी स्वयं इस बात से इंकार करते हैं।
Ben Okri about himself in The Guardian)
(राजनीति का नया सपना-यह कविता बेन ओकरी ने इंग्लैंड की लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोरबिन को केंद्र में रखकर लिखी थी। इंग्लैंड की राजनीति में शायद पहली बार जेरेमी कोरबिन एक ऐसे समाज और अर्थव्यवस्था की बात कर रहे हैं जो वर्तमान यूरोपीय पूंजीवादी व्यवस्था के सामने एक असंभव स्वप्न सा प्रतीत होता है। कोरबिन ने ब्राइटन में आयोजित लेबर पार्टी के समारोह में अपने भाषण के दौरान बेन ओकरी को अपनी प्रेरणा के एक स्रोत के रूप में उद्धृत किया था। )
राजनीति का नया सपना
(अनुवाद- राजेश कुमार झा)
वे कहते हैं राजनीति की डगर है सिर्फ एक-
कठोर दुनियाँ पर कठोर नजर
शाही पैमाने से बनती बिगड़ती तस्वीरें
मुमकिन होती हैं बस वही,
मिले जिनकी खातिर तालियां, समर्थन और वोट।
वे कहते हैं, सपनों की डगर है सिर्फ एक-
मत दो लोगों को जिसकी है उन्हें जरूरत।
भय की आग जलाए रखो,
नेता जितनी देर काबिज हों सत्ता पर,
पैमाना है यही कामयाबी का।
लेकिन इतिहास में तरीके रहे हैं कुछ अलग भी,
कामयाबी के पैमाने भी रहे थे कुछ अलहिदा-
महान होते थे वे शासक जो
-लोगों के दिलों में पैदा करते थे सुनहला सुकून
– अनंतजीवी कलाओं के पोषक
– लाते थे चूल्हों के इर्दगिर्द खनकती खुशियाँ।
महाकवि जब सुनाते थे गाथाएं,
सम्राटों की,
जिनमें था साहस-
अपनी धरती पर खुशियाँ बाँटने का,
होती जंग से दूर- इंसाफ की धरती, तंदुरुस्त लोग।
यही थी शासन की सबसे कीमती तजबीज।
वक्त बदल चुका है-
भूल चुके हैं हम,
लोगों के लिए ऊँचे, मुश्किल सपने देखना-
शायद वैसा ही जैसा कहते हैं मायूसी के मसीहा,
कयामत की तस्वीर उकेरते लोग-
देखते हैं वक्त का आखिरी अक्श-
हो जैसे खूनी लाल रंग में लिपटा चाँद।
जैसा कि होता आया है हमेशा,
सपनों की राख को चीरकर,
उभरता है कोई – उम्मीद से परे।
गहरी नींद के बाद,
फूटती है रोशनी दिलों में
सोचते हैं वे कहीं तिलस्म तो नहीं?
क्या ये मुमकिन नहीं-
कि ढूंढ ले अपनी शख्सियत के खोए खजाने?
सहेज रखें उम्मीद की डोर-
होगी दूर गुरबत,
जंग से मिलेगी आजादी,
मध्य-पूर्व के चक्रव्यूह में खुलेगा रास्ता अमन का,
खुशहाल बनेगा अफ्रीका,
रुक सकेगा ये खौफनाक मंजर-
अपना मुल्क छोडकर भागते शरणार्थियों का हुजूम।
देखता हूँ एक सपना-
नई राजनीति का,
जो बनाएगी एक नई दुनियाँ
थकी, सशंकित नजरों से कहीं आगे।
होती हैं हमेशा नई राहें, बेहतर रास्ते-
जिनपर चलना है अब भी बाकी।
मूल अंग्रेजी कविता – A New Dream of Politics- Original English- Ben Okri
(वागर्थ, अगस्त 2017 में प्रकाशित)
ओ मेरे जीवन की बगिया
(अनुवाद- राजेश कुमार झा)
चलो जीवन के अग्निपथ पर साल दर साल
बने रहो निडर, साफ रहे नजर- हर हाल।
कहती है जीवन की बगिया।
इसलिए
बढ़ूंगा, शाह-बलूत की तरह,
बनाऊंगा जिंदगी की मिठास, भंवरे की तरह।
चलूँगा हर दिन एक नया मील– मस्त और मजेदार,
साझा करूँगा सूरज से मुस्कुराहट।
खेलूँगा, फिर से बच्चे की तरह
मनाऊँगा जश्न, हर जंगली चीज का।
तैरूंगा समंदर और नदी में,
प्रतिबिंबित करूँगा महान दाता की रोशनी।
रहूँगा सहज प्रतिरोध के बावजूद,
जगाऊँगा अंतरात्मा की आवाज
चलूँगा अनजाने, चकित करने वाले रास्तों पर
थिरकूँगा जिंदगी की अनपेक्षित ताल पर
निहारूंगा चाँद का हर पहलू।
कोशिश करूँगा न हो जल्दबाजी, न करूँ देर।
लिखूँगा हर रोज, कुछ न कुछ नया,
तस्वीरों को देखूँगा, नए नजरिए से हर रोज।
दुहराऊंगा नहीं सपने,
न शरमाऊंगा दुहराने में बेशक अच्छी चीज।
रखूँगा हिम्मत बदलने की, होगी जब जरूरत,
भूलूँगा नहीं कभी कि जिंदगी होती है अजीब।
और इसलिए छोटी छोटी चीजों से भी करूँगा प्यार,
जिंदगी की पेचीदगी से भी रखूँगा वैसी ही मोहब्बत।
अच्छी या बुरी- हर चीज को देखूँगा बराबरी की नजर से,
नहीं भूलूँगा कि जिंदगी है एक राजदार खेल।
मौत के खौफ से जिंदगी को रखूँगा संभालकर,
चलेगा जादू मेरा जद्दो जहद के बीच।
लूँगा ऊँची उड़ान जिंदगी की,
बनेगा मेरा कोना मकसद मेरी जिंदगी का।
ऐ जिंदगी की बगिया,
दे मुझे साहस, डर से बचा।
चाहता हूँ करना प्यार इस नए साल को।
(वागर्थ, अगस्त 2017 में प्रकाशित)
***
मूल अंग्रेजी कविता– O that Abstract Garden-Original English- Ben Okri
I simply coulԀn’t Ԁeрart ʏour ѕite prior to sᥙggesting that I really loved the
usual information an individual provide in your guests? Is goіng to be again regularlky to investigate
crⲟss-check neew posts
LikeLike
Translation of these both poems can be placed as example of the best Translation. Though the poems are of high quality in itself but the endowment of translator during translation is more than any thing. Congratulations….
LikeLike
Thanks. You have the credit of introducing me to the field of translation.
LikeLike
http://www.blogster.com/aleksandraapeni/o-guia-de-remoo-de-mcula-sem-laser-saiba-tudo-aqui
LikeLike