आज़ादी (पॉल एलुआर्ड की कविता)

अनुवादः राजेश कुमार झा

कवि परिचयः पॉल एलुआर्ड (1895-1952) फ्रांसीसी कवि।कला के अतियथार्थवादी (सुर्रिएलिस्ट) धारा के संस्थापक सदस्यों में शामिल। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान नाजी जर्मनी द्वारा फ़्रांस पर क़ब्ज़े के दौरान वे इसके प्रतिरोध में सक्रिय रहे। उनकी कविताओं ने लोगों के आत्मविश्वास को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभायी।

अपनी स्कूल की बही पर,
मेज पर और दरख्तों पर
बर्फ पर और रेत पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

पढ़े हुए पन्नों पर,
कोरे कागजों पर,
पत्थर, खून, कागज या राख पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

योद्धाओं के हथियारों पर
बनी सोने की तस्वीरों पर
राजाओं के मुकुट पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

जंगल और रेगिस्तान में
घोसलों में, जंगली गुलाबों पर,
अपने बचपन की प्रतिध्वनि पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

अपने सभी नीले रुमालों पर,
भीगे, धुपहले दलदलों पर
चांद की रोशनी से जिंदा तालाबों पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

खेतों में, आसमानों पर
पाखियों के पंखों पर
साये के झुरमुट पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

पौ फटने की हर आहट पर
समंदर में, नावों पर
पहाड़ों के बौराए शिखरों पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

बादलों की झाग पर
तूफानों के पसीने पर
झमाझम बारिश औऱ टिपटिप बूंदों पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

टिमटिमाती आकृतियों पर,
रंगबिरंगी घंटियों पर
कुदरती सच पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

ऊंचे रास्तों पर
चालू सड़कों पर
भीड़भाड़ वाले चौराहों पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

जलती मशालों पर
बिन-जली मशालों पर
फिर से जुड़े विचारों पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

टो टुकडों में कटे फल पर
अपने कमरे में और आइने पर
बिस्तर पर और खाली ठठरी पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

अपने बड़े दिल वाले मगर लोभी कुत्ते पर
सीधे खड़े उसके कानों पर
बाहर निकले पंजों पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

अपने दरवाजे की कुंडी पर
जानी पहचानी उन चीजों पर
अच्छी आग की धधक पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

मांस-पेशियों की समरसता पर
दोस्तों के चेहरों पर
आगे बढ़े हर हाथ पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

विस्मय की खिड़की पर
चाहत भरे होंठो पर
चुप्पी से भी गहरी हालत में
लिखता हूं तुम्हारा नाम

छुपने की अस्त-व्यस्त जगहों पर
डूबी हुई रोशनी की मीनारों पर
उब और बेचैनी पर, अपनी दीवारों पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

इच्छाहीन अमूर्तन पर
नंगे एकाकीपन पर
मृत्यु की कदमताल पर
लिखता हूं तुम्हारा नाम

औऱ शब्द नहीं हैं मेरे पास,
जिंदगी फिर से करता हूं नई
क्योंकि मैं पैदा हुआ था
तुम्हें नाम देने-
आजादी।

Liberty by Paul Eluard-English Text

(प्रिय मित्र दीपक चौधरी का धन्यवाद जिन्होंने इस कविता से मेरा परिचय करवाया।)


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