मिरोस्लाव होलुब की कविताएं

कवि परिचय– मिरोस्लाव होलुब (1923-98) चेक गणराज्य के जाने माने कवि हैं। वे अपनी कविताओं के तीखे व्यंग्य के लिए मशहूर हैं। उनकी कविताओं में बुढ़ापे और मनुष्य की यंत्रणाओं का चित्रण दिखाई देता है। तत्कालीन चेकोस्लावाकिया में उनकी कविताएं कम्युनिस्ट शासन के समाप्त होने के बाद प्रकाशित होनी शुरू हुई। पेशे से वे जैव-वैज्ञानिक हैं और उनकी कविताओं में भी विज्ञान की शिक्षा का प्रभाव दिखाई देता है।

दरवाजा

जाओ, दरवाजा खोलो,
हो सकता है बाहर तुम्हें मिल जाए
एक पेड़ या जंगल,
शायद दिख जाए फूलों का बगीचा
या कोई जादुई शहर।

जाओ, दरवाजा खोलो,
शायद बाहर कोई कुत्ता ढूंढ रहा हो खाना,
या दिख जाए तुम्हें कोई चेहरा,
शायद किसी की आंख,
या तस्वीर,
दिख जाए, तस्वीर की तस्वीर शायद।

जाओ, दरवाजा खोलो,
होगी अगर धुंध,
शायद छंट जाएगी धुंध।

जाओ, दरवाजा खोलो,
फिक्र न करो कि बाहर मिलेगा तुम्हें सिर्फ अंधेरा,
या सांय सांय करती हवा,
कुछ नहीं भी हो बाहर फिर भी,
जाओ दरवाजा खोलो।
कम से कम
हवा का एक झोंका तो आएगा।

Doors-Miroslav Holub- English Text

वर्णमाला

महाहिमयुग से शुरु होकर
इस शहर की गली में बने बच्चों के स्कूल तक,
बीत गए एक करोड़ साल।
वर्णमाला के पहले अक्षर से लेकर आखिरी तक,
हम जानते हैं हर चीज।
लेकिन कभी कभार,
अटक जाती हैं उंगलियां
क और ख के दरम्यान मौजूद खाली जगह के बीच,
जैसे रात में खाली होते हैं प्रेयरी के घास के मैदान,
च और छ के बीच,
जैसे गहरी होती हैं समंदर की आंखें,
त और थ के बीच,
जैसे लंबा होता है इंसान का जन्म।
कभी कभार रुक जाती हैं उंगलियां,
वर्णमाला के आखिरी हर्फ के बाद
जैसे ब्रह्मांड के आरपार फैली हुई ठंड,
कांप उठती है उंगलियां हल्के से,
जैसे कांप जाता है कोई अजीब सा परिंदा,
डर कर नहीं,
बस यूं ही।

Alphabet- Miroslav Holub- English Text

दिल का आकार कैसा होता है

शास्त्रों के अनुसार दिल का आकार होता है
लंबूतरा, मांस-पेशियों वाला,
भरा होता है चाहतों-ख्वाहिशों से दिल।
मगर जिस किसी ने बनायी है दिल की तस्वीर,
उसे पता है कि यह होता है सितारों की तरह नुकीला और धारदार,
कभी कभार दिखता है मैला-कुचैला, तुड़ा-मुड़ा,
जैसे रात में आवारा कुत्ता,
कभी कभार दिखता है ऐसा,
जैसे बज रहा हो महादेव का नगाड़ा।
कभी तो लगता है जैसे हो पतली सी लकीर,
कभी जैसे धमाके की गूंज।
और इसमें होती है सिर्फ एक नदी,
एक मेड़,
ज्यादा से ज्यादा एक छोटी सी मछली,
जो होती नहीं कभी सुनहली।

What the Heart is like- Miroslav Holub- English Text

सपने

सपने चूस लेते हैं मनुष्य का सत्व,
जैसे चांद सोख लेता है ओस।
सर के निचले हिस्से से आसमान में,
तनकर खड़ी हो रही है एक रस्सी।
पत्थर से पैदा हो रहा है,
काले रंग का एक बगुला।
फिसलनदार सड़क पर आसमान में,
परियों का झुंड ले रहा है शाम की कक्षा।
मैं सपने देखता हूं, इसीलिए सपने देखता हूं।
मैं सपना देखता हूं कि
तीन गुणा तीन होता है नौ,
कि सड़क पर दाएं हाथ की ड्राइविंग का लागू है कानून,
कि जब सर्कस उठ कर चला जाएगा,
इस मसली हुई जमीन पर फिर से उग आएगी बेतरतीब घास।
हां घास,
विशुद्ध घास,
बस घास।

Dreams-Miroslav Holub- English Text

नेपोलियन

शिक्षक ने पूछा,
बच्चों, नेपोलियन का जन्म कब हुआ था?
बच्चों ने जवाब दिया,
एक हजार साल पहले,
बच्चों ने कहा,
सौ साल पहले,
बच्चे बोले,
पिछले साल।
किसी को नहीं मालूम।

शिक्षक ने पूछा,
बच्चों, नेपोलियन ने क्या किया था?
बच्चों ने जवाब दिया,
युद्ध में जीत हासिल की थी,
बच्चों ने कहा,
युद्ध में हार था नेपोलियन।
किसी को नहीं मालूम।

एक बच्चे ने कहा,
मेरे कसाई के कुत्ते का नाम था नेपोलियन,
कसाई अपने कुत्ते को पीटता था,
एक साल पहले भूख से हो गयी उसकी मौत।
अब सभी बच्चों को,
नेपोलियन पर तरस आ रहा था।

Napoleon-Miroslav Holub- English Text

मदद

हमने घास की मदद की,
वह बन गया मक्के का पौधा,
थोड़ी सी मदद की आग की हमने,
बन गया वह रॉकेट।
हिचकिचाते,
थोड़ी सावधानी बरतते,
हम करते हैं मदद लोगों की,
कुछ लोगों की।

A helping Hand-Miroslav Holub- English Text


 

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