असम में रहने वाले बंगलाभाषी मुसलमानों को मियां कहा जाता है। यह उनके लिए एक अपमानजनक संबोधन है। इस समुदाय के लोगों को लंबे समय से सामाजिक तिरस्कार और हिंसा का शिकार होना पड़ा है। इसके प्रतिरोध में मियां कविता का दौर शुरू हुआ जिसे सोशल मीडिया ने लोगों के सामने लाया। इन कविताओं में गहरी संवेदना और संघर्ष की चेतना दिखाई देती है। मैंने कुछ मियां कविताओं का अंग्रेजी से अनुवाद किया है जो तीन किश्तों में ब्लॉग पर डाल रहा हूं। पेश है इस किश्त की दूसरी कड़ी।