क्वामे दावेस की कविताएं (२)

घाना में पैदा हुए, जमैका में पले बढ़े क्वामे दावेस की कविताओं के अनुवाद की दूसरी किस्त जिसमें शामिल हैं उनकी चार अन्य कविताएं।

क्वामे दावेस की कविताएं (1)

Ghana Born poet Kwame Dawes is an important modern poet of Africa. His poetry is musical, sensuous with deep rhythms of Reggae. Translation of his two celebrated poems in Hindi

निज़ार कब्बानी की कविताएं

Nizar Qabbani (1923-1998), Syrian poet and diplomat. His poetic style combines simplicity and elegance in exploring themes of love, eroticism, feminism, religion, and Arab nationalism. Qabbani is one of the most revered contemporary poets in the Arab world. Here are three of his poems translated into Hindi (from English translations)

करेंगे या मरेंगे (काउंटी कलेन)

इस कविता से एक रोचक प्रसंग जुड़ा हुआ है। भारत छोड़ो आंदोलन के शुरू होने के 10 दिनों के अंदर, 19 अगस्‍त 1942 को अमेरिका में एक कविता अंग्रेजी में प्रकाशित हुई थी। प्रसिद्ध अफ्रीकी-अमेरिकी कवि काउंटी कलन की इस अंग्रेजी कविता का शीर्षक था ‘करेंगे या मरेंगे’, डू ऑर डाय’ नहीं, ‘करेंगे या मरेंगे’। सोचने की बात ये है कि आखिर अंग्रेजी में लिख रहे इस अश्‍वेत संघर्ष के कवि ने ‘करेंगे या मरेंगे’ का अंग्रेजी अनुवाद न करके अपनी अंग्रेजी कविता का शीर्षक गांधी के शब्‍दों को ज्‍यों का त्‍यों रखा, जबकि हमारे देश के अनुवादक और इतिहासकर्मी ‘करो या मरो’ क्‍यों लिखने लगे ?

धीरे धीरे मरते जाते हैं हम (मार्था मद्योस*)

It is the translation of a poem 'You start dying slowly' (Muere Lentamente) wrongly attributed to Pablo Neruda. It is actually written by the Brazilian writer Martha Medeiros, author of numerous books and reporter for the Porto Alegre newspaper Zero Hora. It is a beautiful poem. Here is the Hindi translation of this poem

रवींद्रनाथ टैगोर की कविता

(आनंद कुमारस्वामी की पुस्तक डांस ऑफ शिवा से उद्धृत) अनुवाद- राजेश कुमार झा विरक्त हो संसार से, मुक्ति का यह मार्ग नहीं मेरा। संसार चक्र के शतबंधन से आबद्ध, करूँ आस्वादन अनंतमुक्ति, अमृतरस का... ध्वनि, दृश्य, गंध के हर स्पंदन से निःसृत, करूँ रसपान तेरे परम आह्लाद का, भाव व आसक्ति  की चिंगारी से सिंचित... Continue Reading →

विस्लावा सिंबोर्सका की कविताएं

विस्लावा सिंबोर्र्स्का- पोलिश कवि। जन्म 1923, मृत्यु 2012। साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से 1996 में सम्मानित। सिंबोर्स्का की कविताएं अपनी सादगी के भीतर छिपे गूढ़ एवं गंभीर निहितार्थों के लिए जानी जाती हैं। घरेलू जिंदगी के बिंबों को महान ऐतिहासिक संदर्भों से जोड़ने वाली इनकी कविताओं का चुटीलापन गहरा असर छोड़ती हैं। संभावनाएं (अनुवाद:... Continue Reading →

बेन ओकरी की कविताएं

बेन ओकरी प्रसिद्ध अफ्रीकी साहित्यकार। जन्म- नाइजीरिया, 1959। कवि और उपन्यासकार के रूप में बेन ओकरी को आधुनिककाल के महान लेखकों में गिना जाता है। उपन्यास दि फैमिश्ड रोड के लिए 1991 में बुकर पुरस्कार से सम्मानित। आलोचकों ने ओकरी की तुलना मार्केज से की है और उनकी रचनाओं में मैजिक रिएलिज्म के तत्व गिनाए... Continue Reading →

लैंग्सटन ह्यूजेज की कविताएं

     लैंग्सटन ह्यूजेज (1902-1967)- प्रसिद्ध अश्वेत कवि, नाटककार तथा उपन्यासकार। बीसवीं सदी के आरंभ में अमेरिका में शुरु हुए हारलेम प्रतिरोध के पुरोधा कवि। अश्वेत रचनाधर्मिता को नया रंग देने तथा साहित्य के एक नए सौंदर्यबोध का सृजन करने वाले कवि के रूप में विख्यात।  खूबसूरत ज़िंदगी (अनुवाद- राजेश कुमार झा) नदी के किनारे पहुँच... Continue Reading →

अंधायुग (बर्त्तोल ब्रेख्त)

(बर्त्तोल   ब्रेख्त- 20वीं सदी के महान कवि, नाटककार तथा निर्देशक। जन्म- जर्मनी 1898, मृत्यु-1956। ब्रेख़्त ने नाटकों को एक नयी शैली प्रदान की। मदर करेज और थ्री पेनी ओपेरा उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। इनकी रचनाओं में शांति की पक्षधरता तथा फासीवाद एवं युद्ध विरोधी स्वर मुखर रूप में दिखाई देता है।) अंधायुग (बर्त्तोल ब्रेख्त)... Continue Reading →

कयामत के दिन भी/लोक-परलोक (सेसलॉ मिलोज)

सेसलॉ मिलोज (१९११-२००४)। महान पोलिश कवि। १९६० से अमेरिका में निर्वासित जीवन व्यतीत करते हुए बर्कले विश्वविद्यालय में पोलिश भाषा का अध्यापन। १९८० में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित। मिलोज की कविताओं में मानवीय स्वतंत्रता और आत्मिक तथा बाह्य दोनों प्रकार के निर्वासन की पीड़ा के गहरे स्वर सुनाई देते हैं। 1. कयामत के दिन भी... Continue Reading →

महमूद दरवेश की कविताएं (फिलिस्तीन)

      महमूद दरविश (1942 –  2008) महान फिलिस्तीनी कवि तथा लेखक। अपनी रचनाओं के लिए उन्हें फिलिस्तीन का राष्ट्र-कवि माना जाता है। उनकी रचनाओं में फिलिस्तीनी जनता के अपनी जमीन से उखड़ने और उनके संघर्षों की त्रासदी दिखाई देती है। उन्होंने लंबे समय तक पेरिस तथा बेरुत में निर्वासित जीवन व्यतीत किया। साहित्यिक जगत... Continue Reading →

पाब्लो नेरूदा की कविता

मृत्यु (पाब्लो नेरूदा) (अनुवादः राजेश कुमार झा) सूने कब्रिस्तान निस्पंद, अस्थिपूरित कब्रें, मन की अंधेरी गहराइयां, अंधकार, अंधकार, अंधकार, गहन झंझावात में डूबती नैया- मृत्यु घेरती है अंतस्तल को, जैसे घुट रहा है गला दिल ही दिल में, जैसे अपनी ही त्वचा से पलायन करता प्राण, हौले हौले। बिछे हैं शव, चिपचिपे मृत्युप्रस्तर की कंपकंपाहट, अस्थियों... Continue Reading →

औरत/ नदी (उज्वला सामर्थ)

  (अनुवाद: राजेश कुमार झा) औरत हूँ मैं और इसीलिए नदी भी। बहती आई हूँ सदियों से, ढोती पीढ़ियों की गाद। झेली है मैंने टूटी उम्मीदों की बेशर्म चुभन, अचानक बेघर होने का दर्द, थके मांदे लोगों का बुझा बुझा आक्रोश। लोरियां गाकर सुलाया है मैंने अपराधी अस्थि-पंजरों को, मगर साथ ही जानती हूँ मैं... Continue Reading →

माया एंजेलॉ की कविताएं

माया एंजेलॉ (1928-2014) प्रख्यात अमेरिकी अश्वेत कवयित्री। कविता के अलावा लेखन, नृत्य, अभिनय तथा गायन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान। सात खंडों में प्रकाशित आत्मकथा ने इन्हें दुनिया भर में विशेष ख्याति दिलवाई। एंजेलॉ की रचनाएं अमरीका के अश्वेत लोगों की समस्याओं और अश्वेत संस्कृति के विभिन्न आयामों की एक सशक्त अभिव्यक्ति मानी जाती... Continue Reading →

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