श्रीलंका की कविताएं

(अनुवाद-राजेश झा)

जीन अरसनयगम की कविताएं

कवि परिचय- जीन अरसनयगम (१९३१-२०१९) श्रीलंका की सुप्रतिष्ठित कवयित्री और लेखिका, कलाकार । उन्होंने श्रीलंका के अंग्रेजी साहित्य में विपुल योगदान किया था। उनकी कविताओं में श्रीलंका में लंबे समय तक चले जातीय-संघर्ष की वेदना का स्वर दिखाई देता है जो आज भी अनेक संदर्भों में सामयिक लगते हैं। सामाजिक सरोकार उनकी कविताओं का मुख्य स्वर है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें कई सम्मान प्राप्त हुए।
--------

१. अब अजनबी हैं हम

अब अलग हो चुके हैं हम, पूरी तरह,
खत्म हो चुका झाड़ियों भरी धरती में पगलाए हुए भटकने का सिलसिला
जड़ों को बाहर धकेल रही है धरती,
बीजों को नकार रही है तल्ख जमीन
शाखों पर गुर्राकर हटती जा रही है पत्तियों की छतरी
नंगी हो रही है गीली जमीन और कीचड़
उठ रही है लाशों की बदबू, और सड़ांध
जिन्हें मार डाला था काटकर, जलाकर या बलात्कार के बाद
जो घायल करती हैं हमें
दिल के अंदर फैलता जाता है घाव
बहता है खून, भरता जाता है मवाद
ऐसी चीजों से भला क्यों करें प्यार?
विशाल चट्टानें
छुपी हुई गुफाएं
प्राचीन मूर्तियां
खून से हो चुकी हैं अपवित्र।

इतिहास खो चुका है अपना ठिकाना
हमारी गर्दनों में लटक रही है
बलात्कार की हुई अस्मिता के
नष्ट-भ्रष्ट दस्तावेजों की माला
हमारी सार्वजनिक शर्मिंदगी।

अब नहीं है हमारा कोई देश
न है हमारी कोई धरती
बची नहीं ऐसी कोई जगह जहां हम हो सकें,
उसी तरह जैसे थे पहले,
भय और नफरत से
तुमने कर दिया हमें दूर
हमारे बीच खड़ी कर दी दीवारें
उनके ऊपर पाट दिए नुकीले शीशे, धारदार
खड़ी कर दी बाड़ें।

अब अजनबी हैं हम
कारागार में बंद,
बिताएं अंधेरी रात जग कर,
देखें निर्वासन के दुःस्वप्न
मुक्ति के लिए करें मौत का इंतजार
या जहाज पर हो जाएं सवार
जो चल रही है रास्ते से बेखबर,
जिसके पास नहीं है कोई मानचित्र,
ऐसी यात्रा पर,
जिसका नहीं है अंत।

Now we are strangers-English Text-Jean Arsanayagam


२. मुखौटा

हत्या की है तुमने कभी, बताओ मुझे?
किसी को जलाया या चाकू से गोदा?
क्या तुम्हारे पास से निकली बंदूक की गोली
घुसी है किसी के बदन में जो खून से अब भी है गर्म,
जैसे उड़ कर जाती है चिड़िया अपने घोंसले में।

बताओ मुझे, कभी हत्या की है तुमने ?
कितना धारदार होना चाहिए छुरे को
तुम्हारे नृशंस हाथों के निकल कर –
कितना कठोर, सुगठित होना चाहिए इसे,
क्या मांस और हड्डियां कटती हैं एक साथ?
चबूतरे पर तड़पते,
धड़कते अंगों से, कटे शरीर से
वह, एक बार में हो जाता है पार?

बताओ मुझे, कभी तुमने की है हत्या?
या जलाया है, कुचला या कुल्हाड़ी से किया है वार
अपने ही जैसे किसी अजनबी से की है नफरत,
उसके चेहरे को बदल डाला है दर्द में डूबे मुखौटे में,
और देखा है खून के कोटरों में डूब रही उसकी पसलियों को
जैसे चक्कर खाता कोई पुच्छल तारा?

क्या कभी तुमने कभी साधी है चुप्पी ?
जब तुम्हे बोलने चाहिए थे वे शब्द
जो बंद कर देती हैं तुम्हारी सांसें, दबा देती है तुम्हारा गला
पीकर जहरीला पित्त, की हो तुमने उल्टी,
अपराध और नफरत के जहर से,
जब तक तुम्हारी आंतों में न आया हो मरोड़।

बताओ, उनसे नजरें फेरी हैं तुमने
जो थे कभी दोस्त,
ध्वस्त हो चुके घरों से चुराई हैं आंखें,
जिनमें लगा है लाशों का अंबार
धू-धू कर जल रही लाशें।
या कि तुम बस घूरते रहे,
लालच में डूबी आंखों से,
मरते हुए लोगों, जलती लाशों को अपलक?

बताओ कि कभी तुमने बंद कर लिए अपने दरवाजे,
शरण मांगते उस बच्चे या स्त्री के लिए
जो थे, तुम्हारी जाति, धर्म, नस्ल से अलग
बचकर भागे थे जो,
हमलावर लोगों की हत्यारी भीड़ ,
खून के प्यासे हुजूम से,
जो चमका रहे थे टॉर्च, भांज रहे थे तलवार,
तमंचे, चेन, धारदार सरिए, हथियार.
उनकी आंखों के सामने।

बताओ, क्या तुम्हें पता था,
कभी साथ चले थे, करते थे गपशप,
जिनसे टकराया था तुमने कंधे से कंधा,
आदरणीय लोगों की मृत्यु पर रोए थे साथ साथ
कंधा दिया था अर्थियों को साथ साथ,
कितना अजीब है ये –
कि मिलते हैं अब तो देखते हैं घूरकर,
या गुजर जाते हैं जैसे हों अनजाने,
याद नहीं आता कभी,
दोस्त थे हम।

सावधान, पहन कर रहो मुखौटे,
छिपा है जिसके नीचे,
नफरत का नंगा चेहरा |

PERSONAE -Jean Arsanayagam- Sri Lanka- English Text


३. कैदखाने

अब कैदखाने में हैं हम
दुनिया की खुली सड़कों पर बने कैदखानों में
अपने भीतर के डरों और खतरों में बंद
आजाद घूमते हैं जेल के वार्डर हमारे बीच
घिर चुके हैं हम
तलवारों और सलाखें हैं हमारे कैदखाने की चाभियां
और उनसे भी ज्यादा
नफरत और शक का लोहा
भीड़ की नजरों में धंस जाते हैं हम
अदृश्य दीवारों को धक्का देते
लोहे की सलाखों से झांकते हैं हम।
हमारे जिंदा बचने की एक ही है सूरत
अगर दिखाएं कि नहीं है हमारा अस्तित्व
हमारी पहचान न हो जाहिर,
न शब्दों में, न सूरत में
चाहे इंसान हो या हमारा मुल्क
अपने निजी इतिहास में
प्यार के बारे में जो भी सीखा है हमने
वह सब भूल जाएं।

भगवान बुद्ध के पवित्र मंदिर दलादा में,
एक इंसान इबादत के लिए ऊपर उठाता है अपने दोनों हाथ,
पूजा के लिए झुकाता है अपना सर,
लेकिन एक ही क्षण पहले,
अपने पड़ोसी के लिए उसने कहे थे नफरत के बोल,
खैर, वो तो दूसरा आदमी था।

Prisons- Jean Arsanayagam-Sri Lanka- English Text


४. हत्या
(प्रोफेसर एम.ए. नुहमान की कविता)

प्रोफेसर एम ए नुहमान श्रीलंका के जाने माने विद्वान, कवि, अनुवादक और आलोचक हैं। उन्होंने श्रीलंका सहित दुनिया के अनेक देशों में तमिल भाषा का अध्यापन किया है। अंग्रेजी में उनके तीन काव्य संग्रह प्रकाशित हुए हैं। यह कविता १ जून १९८१ को सिंहल चरमपंथियों द्वारा श्रीलंका के जाफना लाइब्रेरी को जलाए जाने से संबंधित है। इस समृद्ध लाइब्रेरी में कुछ अत्यंत मूल्यवान पांडुलिपियां और पुस्तकों का संग्रह था।
-------

कल रात
मैंने सपने में देखा
कानून के रखवाले
पुलिस ने
भगवान बुद्ध की गोली मारकर हत्या कर दी
खून से लथपथ उनका शरीर
जाफना लाइब्रेरी की सीढ़ियों पर रखा था
रात के अंधेरे में वहां
मंत्रीगण आए।
‘इसका नाम तो हमारी सूची में नहीं था,
क्यों हत्या की इसकी तुमने?’
उन्होंने नाराज होकर पूछा।
‘नहीं सर, नहीं। कोई गलती नहीं हुई।
उसे मारे बिना
एक मक्खी को भी मारना असंभव था…
इसलिए….’ वे घिघियाते हुए बोले।
‘ठीक है फिर,
लाश को ठिकाने लगा दो।‘
मंत्रीगण वापस चले गए।
सादी वर्दी में लोग लाश को घसीट
लाइब्रेरी के अंदर ले गए।
सभी किताबों को,
कुल मिलाकर नब्बे हजार थी,
डाल दिया लाश के ऊपर,
चिकलोकवाद सुत्त के साथ
आग लगा दी चिता को।
इस तरह परम दयालु के देहावशेष
धम्मपद के साथ ही
जलकर हो गए भस्म।

English Text of Murder-M.A. Nuhman


(ऊपर की चारों कविताएं वागर्थ, सितंबर २०२२ अंक में प्रकाशित )



५. चुंबन
(इंद्रण अमिर्थनयागसम की कविता)

इंद्रण अमिर्थनयगम, जन्म १९६०, कोलंबो। तमिल, स्पैनिश, अंग्रेजी, फ्रेंच, पुर्तगाली सहित अनेक भाषाओं में कविता लेखन और अनुवाद। स्प्लिंटर्ड फेस (२०१३) और कोकोनट ऑन मार्स (२०१९) उनके चर्चित काव्य संग्रह। न्यूयॉर्क टाइम्स सहित अनेक अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाओं प्रकाशित हुई हैं।
--------

तुम्हारे होंठो को चूमते हुए
मैं भूलने की कोशिश करता हूं
गुलाब के फूलों को
ताड़कुन के मीठे और कठोर फलों को

जीभ पर फिरता जीभ
धड़कते दिल के ऊपर
धड़कता दूसरा दिल,
हमारे मानव शरीर को निर्दिष्ट करते
ये मेरे शब्द हैं
जिन्हें कविता नहीं पकड़ सकती
इस गर्म और धुपहली दोपहरी में
तुम्हारे होंठों को चूम लूं,
बस यही है, यही है मेरी चाह।

मुझे नहीं पता कितनी देर और
गुलाबों को चूमते
टहल सकता हूं इस फुलबाड़ी में
या अपने सपनों की ताड़ी की मधुशाला में
लगा सकता हूं चक्कर
जहां
काले चेहरे और सफेद ताड़ी में घुलमिल जाते हैं
समुद्र के पार किसी टापू पर बसे
जाफना, श्रीलंका, हमारे तमिल देशवासियो की
श्याम-श्वेत स्मृतियां।

दूर, और भी दूर
ताड़कुन का फल और तुम्हारे होंठ।
अभी ताड़ी पीने के लिए।
तुम्हारे गुलाबी होंठों के चुंबन के लिए।
अपनी फुलबाड़ी में लगे गुलाबों को उखाड़
उन्हें अपनी जिह्वा को समर्पित करने के लिए।

उड़ कर चला जाऊं श्रीलंका
इतिहास तमिलों को फेंक डाले समुद्र के भीतर
जैसा इसने कहा था,
तोड़ लूं पेड़ पर लगा आखिरी फल

इसके पहले और सबसे पहले
महाप्रलय के पहले
मैं चाहता हूं दिल से,
भले ही मेरे शब्द नहीं हों इसके लायक,
तुम्हारी जुल्फों में सर रख
चूम लूं तुम्हारे होंठों को।

Kiss-Indran Amirthanayagam-Sri Lanka- English Text


One thought on “श्रीलंका की कविताएं

Add yours

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

Blog at WordPress.com.

Up ↑

%d bloggers like this: