कोरोना पर पेरुनदेवी की कविताएं

अनुवाद- राजेश कुमार झा

पेरुनदेवी तमिल की महत्वपूर्ण कवि हैं। पिछले बीस वर्षों में उनके आठ काव्य संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। औरतों के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा और सामाजिक आचरणों के बारे में भी उन्होंने कई लेख लिखे हैं। वे न्यूयॉर्क में एसोशिएट प्रोफेसर हैं और अपना समय न्यूयॉर्क और चेन्नई में बिताती हैं। उनकी इन कविताओं का मूल तमिल से अंग्रेजी में अनुवाद एन कल्याण रमण ने किया जो आधुनिक तमिल कविताओं और कहानियों के अनुवादक हैं। ये अनुवाद स्क्रोल में प्रकाशित हुए थे।

Photo Credit: Tejaswini Krishna, Graduate Student, Communication Studies, University of Capilano, Vancouver, Canada

१. दृश्य

कमरे के अंदर अपनी छाती हौले हौले थपकाता
एक व्यक्ति खांस रहा है
बाहर कहीं दो लोग
बिना आवाज किए सिसक रहे हैं

चुप्पी भरे पार्क में अपने घुटनों को सटाए
एक आदमी बैठा है
पूरे सड़क पर
और शहर में हर जगह
दिखाई दे रहे हैं लोग
जो खो चुके हैं अपनी नौकरियां

सड़कों पर चल रहे लोगों की अनंत कतारें देखकर
हैरान हो रही हैं चीटियां
दूसरी घोषणा होने के बाद
अनंत पंक्तियां बना कर 
वे भी विपरीत दिशाओं में चल पड़ेंगी 

डॉक्टर अपना कोट खोलकर
धोती है हाथ
दुबारा धोती है हाथ
अपनी उंगलियों को घूरती है डॉक्टर
फिर धोती है दुबारा

शहर के मोबाइल फोन टावरों में आग लगी है
किसी दूसरे शहर में
बेंच पर बैठा इंसान अनजान कबूतरों को खिला रहा है दाना
जिसने लायी है खबर
किसी के जिंदा होने की

बंद सुपर-मार्केट के आगे खड़े हैं
कुछ बूढ़े लोग
हवा का झोंका
खाली आलमारियों के बीच
ताकता है इधर उधर, हर तरफ
गुजर जाता है उनके पार

बड़े से गड्ढे के पास
जमा लाशों की भीड़ इंतजार कर रही है 
जल्दी से गड्ढे के अंदर डाल दी जाती हैं लाशें
गाड़ियों में बैठ जाते हैं लोग
बाहर छूट गयी लाश गुर्राती है
गाड़ी के अंदर से पीछे मुड़कर देखता है एक व्यक्ति
उसकी आंख में घुस जाती है लाश।
(वागर्थ-जून २०२२ में प्रकाशित)

Scenes-Perundevi, English translation by N. Kalyan Raman

२. चेन्नई से जाते हुए

शहर से बाहर निकलने के रास्तों पर
बेचैन-उच्छृंखल सड़कों पर धक्कामुक्की कर रही हैं गाडि़यां
उन्हें इजाजत नहीं मिल पायी है
मैं उन गाड़ियों में नहीं हूं
और न चाहती हूं उनमें बैठना
शहर की हड्डियों से लटकी
इस वक्त मैं चाहती हूं
बस थोड़ा सा जादू
काश मुझे कोई बदल दे चमचमाते नमक में
फिर से मैं घुल जाऊंगी बंगाल की खाड़ी में
माइलापुर के संत थामस को छूकर पहुंच जाऊंगी तट पर
अग्निपुंज सूरज के चरणों को छू लूंगी उचक कर
कहीं भी खड़ी होकर
खाली पड़े बेचैन समंदर के तट पर
सूनी नजरों से देखती
बैठ जाऊंगी
मेरी हड्डियों के नमक में मिल जाएगी
मई महीने की नमक
इस क्षण मेरी का मतलब है
तुम, वह, वे , वे सभी
यहां मौजूद हरेक।
(वागर्थ-जून २०२२ में प्रकाशित)
Leaving Chennai-Perundevi-English translation N. Kalyan Raman
Photo Credit: Tejaswini Krishna, Graduate Student, Communication Studies, University of Capilano, Vancouver, Canada

३. कुछ महीनों के बाद शहर

सत्तर साल की बूढ़ी औरत
जिसे कभी घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी
शहर के बीच बने पार्क में जाती है
सुबह की गुनगुनी धूप का आनंद उठाती
वह लकड़ी के टूटे बेंच पर बैठी है
पार्क के चारों तरफ
पास पड़ोस के लोग
तेज कदमों से चल रहे हैं
वे सावधान हैं
कि उनके बीच बनी रहे छः फीट की दूरी
वे एक दूसरे की ओर देखने से कतरा रहे हैं
औरत नजरें उठाती है
आसमान में कुछ जाने पहचाने कौए उड़ रहे हैं
उनसे वह शिकायत करती है
कि कुछ दिनों से उसकी बहू
उसे आधा पेट खाना देती है
वह कहती है
आजकल उसकी बहू दफ्तर नहीं जाती
बातें करते करते,
वह बुदबुदाती है
‘मेरा बेटा अहमक है’
कौए तेजी से जमीन पर झपट्टा मारते हैं
वे उसके हाथों को घूर रहे हैं
जिनमें कुछ भी नहीं है
वह अब भी शिकायत कर रही है
वे जल्दबाजी में हैं
एक कौआ उछलकर गाल पर बैठ जाता है
चोंच मारता है
बहुत जल्द एक और आ जाता है वहां
कौओं को भगाने की कोशिश करते
दो कौओं ने फाड़ डाले हैं उसके हाथ
पार्क में लोग अब भी सैर कर रहे हैं
सभी ने बना रखी है एक दूसरे से
छः फीट की दूरी
छः फीट दूर
कौए तैयारी कर रहे हैं
अपने भोजन के लिए।

(वागर्थ-जून २०२२ में प्रकाशित)

The City a few months later-Perundevi-English translation N. Kalyan Raman

Photo Credit: Tejaswini Krishna, Graduate Student, Communication Studies, University of Capilano, Vancouver, Canada

४. कल्पना में कुछ भी अति नहीं

कब्रिस्तान में अनाथों की तरह दफन मुर्दे
जिंदा होकर अपने जाने पहचाने शहर की ओर
एक साथ दौड़े आते हैं
शरीर के तापमान पर नजर रख रहे ड्रोन की तरफ
हाथी नजरें उठाकर देख रहे हैं बेतकल्लुफ़
शहर की मुख्य सड़क से
गुजर रहा है एक झुंड
फूला हुआ चांद
देख रहा है कभी दाएं, कभी बाएं
उसके गले में लटक रही है अर्थी
गुफा से बाहर निकलते हैं
दो लोग
रूखे बेतरतीब बालों से ढंका है उनका पूरा शरीर,
उन्हें दिन के लिए करनी होगी आग की तलाश
‘कल्पना में कुछ भी अति नहीं’
जिस गुलाब की फुलबाड़ी ने कभी बीमारी नहीं जानी
झूमझूम कर
गाने लगता है गाना
कर्तव्य पालन को दृढ़ संकल्प तितली
उसके परागों को चूस लेती है
जैसे कभी भगवान होते थे मनुष्यों के लिए
तितलियां भी गुलाब के लिए हैं, वही।

(वागर्थ-जून २०२२ में प्रकाशित)
Photo Credit: Tejaswini Krishna, Graduate Student, Communication Studies, University of Capilano, Vancouver, Canada

Nothing imagined is excessive-Perundevi-English translation N. Kalyan Raman

५. गहरे कुंड के किनारे खड़े

मेरे गले के पिछले हिस्से में
शब्द उठ खड़े हुए हैं
‘मुझे बचाओ, मेरी रक्षा करो।’
मैं निगल जाती हूं उन्हें पूरा का पूरा
दिन भर छाया हुआ है धुआं
दुनिया में हर तरफ छाया है धुआं
कुछ भी साफ साफ नहीं दिखाई देता
कांप रहे हैं सभी हाथ
गहरे कुंड के किनारे खड़े रहने की तरह है
समयशून्य समय में रहना
यहां अंधेरे में कुछ खास अलग नहीं
और अपनी सुरक्षा के लिए चिल्लाती हूं जब
इस गहरे कुंड के भीतर
मेरी आवाज नहीं होगी मेरी अपनी
जिससे बचना चाहती हूं मैं
वही मेरी रक्षा कर रहा है और
सुरक्षा मांग रहा है वह
जो मैं नहीं हूं।
(साहित्यमेघ,जनवरी २०२२ में प्रकाशित)

Standing in the abyss-Perundevi-English Translation N. Kalyan Raman

६. सामान्य

सचमुच अब मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं
बस थोड़ी सी नींद काफी होगी
अगर हो सके तो नींद के बीच छोटा सा सपना
सपने में दोस्तों के साथ मैं
जाती हूं किसी रेस्त्रां
वहीं जहां हमेशा जाते थे हम लोग
हमेशा की तरह थोड़ी सी पीते हैं हम
हमेशा की तरह थोड़ा सा हंसते हैं हम
हमेशा की तरह दोपहर रात को आते हैं बाहर
उबर टैक्सी का करते हुए इंतजार
प्यार से दूसरे दोस्त की पेट में हौले से लगाता है घूंसा
खोंखों कर वह हंसने लगता है
फिर हम अलग हो जाते हैं और चल देते हैं
गौर कीजिए
मेरा प्रेमी इस सपने में नहीं आया
जो दोस्त आए सपने में
वे भी मेरे करीबी नहीं थे
लेकिन इस सपने से भी
अभी काम चल जाएगा
बाहर निकलने के लिए
छोटी सी रस्सी
इस कुंड की अतल गहराइयों से
दूसरी तरफ जाने के लिए
और वहां से
रोशनी की किरण देखने
भले ही सपना ही क्यों न हो
दूसरा कोई रास्ता नहीं।
(साहित्यमेघ-जनवरी २०२२ में प्रकाशित)

Normal-Perundevi-English Translation N. Kalyan Raman

Photo Credit: Tejaswini Krishna, Graduate Student, Communication Studies, University of Capilano, Vancouver, Canada

७.आसमान का कोई कोना अब भी नीला है

उस आसमान के नीचे
दो जवान औरतें तेजी से साथ साथ चली जा रही हैं
हाथ में टोकरी लिए
एक दूसरे से टकराती चलती, गप्पें मारती
वे दुकान में घुसती हैं
वे ब्रेड का एक पैकेट खरीदती हैं
जिनसे आ रही है दिन की खुशबू
वे दूध का बोतल खरीदती हैं
सब्जियां खरीदती हैं
एक दूसरे से टकराती चलती, गप्पें मारती
उस आसमान से
वे वापस आ रही हैं
सूरज बिना पलक झपकाए
दोनों औरतों को घूर रहा है
हटने का कोई इरादा नहीं है उसका
वहीं से फैसला करता है
कि आज वह किसी तरह
दूसरे आसमानों से गुजरते हुए
बंद रखेगा अपनी आंखें

There is some sky that is light blue even now-Perundevi- English Translation N. Kalyan Raman

८. मेहरबानी कर कोई मुझे बताए

मैं इस कमरे के अंदर
चल रही हूं
कुछ दिनों से
दरवाजा दीवार बन चुका है
क्या इस कमरे के उस पार है कोई घर
बाहर कोई शहर है क्या
कोई मंदिर या समुद्र का तट
है शहर में
क्या समंदर में अब भी उठती हैं लहरें
मुझे नहीं पता
इन कुछ दिनों के दौरान
दुर्घटना, हत्या, कैंसर दिल के दौरे से
सामान्य तौर पर कुछ हजार लोग मर चुके होंगे
उन सभी को क्या हुआ था
लाशों का क्या हुआ
मेरे चलने की गति हो चुकी है तेज
इस कमरे के अंदर
मैं एक कदम से दूसरे कदम के बीच
उड़ता हूं
फतिंगे की तरह
गिर पड़ता हूं
मैं मरने की कोशिश करता हूं
मैं अभी और तुरंत अभी जानना चाहता हूं
कि मेरी लाश का क्या होगा

Someone please tell me-Perundevi-English translation N. Kalyan Raman

Photo Credit: Tejaswini Krishna, Graduate Student, Communication Studies, University of Capilano, Vancouver, Canada

९. कुछ बदल गया है

मैं कॉफी कप नहीं उठा सकती
मन की कंपकंपी शरीर को कर रही है प्रभावित
शहर की कंपकंपी संक्रमित कर रही है दिमाग को
कांप रहा है पूरा शहर
कुछ कौए साथ साथ कांव कांव कर रहे हैं
नहीं, वे रुदाली गा रहे हैं
यह बस एक मामूली सी सुबह है
कौओं का यह गैंग
रोज ही आता है
यह उनकी रोज की है कांव कांव
कुछ नहीं बदला है
नहीं बदला है कुछ भी
जब आप को इसे कहना होता है दो बार
तो आपको पता होता है
कि कुछ बदल गया है

Something has Changed-Perundevi-English translation N. Kalyan Raman

१०. मैं समय पर इस लेख को पूरा नहीं कर सकती

क्योंकि
मेरे पिताजी अस्पताल में आईसीयू में भर्ती हैं
मेरी मां कोविद संक्रमित
दूसरे कमरे में लेटी है
मेरी बिल्ली मर गयी, क्या वायरस जानवरों को प्रभावित करता है
मेरे पास कंप्यूटर नहीं है इसलिए मैं कैसे लिख सकती हूं
घर पर झगड़े में पिता ने मां की नाक तोड़ डाली
मेरी गली में आज पांच लाशें आयीं
मैं क्वींस में रहती हूं
हर समय सुनाई देता है एंबुलेंस के सायरन का शोर
मैं नहीं जानती मुझे क्या लिखना चाहिए
क्या एक पैराग्राफ लिखना काफी होगा
मै डरी हुई हूं
सपने में हनुमानजी आए थे, वे करेंगे हमारी रक्षा
ईसा मसीह आए थे सपने में, वे उदास लग रहे थे
मैं उम्मीद करती हूं इस लेख के लिए
आप मुझे ‘ए’ ग्रेड देंगे
भले ही आपको कैसा भी लगे
अपना खयाल रखिएगा
आपके क्लास में नहीं जा पाने से मुझे बिलकुल बुरा नहीं लग रहा
मेरे माता-पिता घर के नजदीक कॉलेज में दाखिला लेने कह रहे हैं
मेरे देश के लोगों ने वापसी के लिए जहाज नहीं भेजा, हमें त्याग दिया है उन्होंने
मैं अपने दोस्त के घर रह रही हूं, वही खाना देते हैं मुझे
सुपरमार्केट में बस एक पैकेट अनाज बचा था
क्या वे बंद करने वाले हैं सुपरमार्केट को
धूप तेज है और मेरा कुत्ता बाहर खेल रहा है
मैं क्यों लिखूंगी लेख

I can’t turn in the essay before due date-Perundevi-English Translation N. Kalyan Raman

११. देवियों! सज्जनों!

वे कहते हैं कि वायरस हवा में घुल चुका है
लेकिन हवा तो बहुत पहले प्रदूषित हो चुकी् है
वे कहते हैं कि वायरस पानी में घुल चुका है
लेकिन शायद ही कभी शुद्ध था पानी
चीन को हर कोई डपट रहा है
सबके साथ मैं भी डपट रही हूं
वे चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं
अमरीका की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली
पूरी तरह लचर है
सबके साथ मैं भी चिल्राती हूं
निजी पहचान के बिना
दुनिया के देश
चुरा लेते हैं मेरी जीभ बार बार
मुझे शक है
कि मेरे खून में भी घुल चुका है वायरस
आज सुबह जो गौरैया उड़कर बैठी थी मेरे दालान पर
शायद उस गौरेये को भी संक्रमित कर दिया है इसने
अजीब बात है कि मुझे देखकर उड़ी नहीं गौरैया
फुदक कर आ गयी मेरे पास
मेरा शक यकीन में बदल गया
अगर वायरस ने गौरेया को भी संक्रमित किया होता
मुझे कोई संदेह नहीं
तो इसने आसमान को भी कर दिया होता संक्रमित
तारे भी हो गए होते संक्रमित
ईश्वर में आप यकीन करें या नहीं
हमारे सामने कोई विकल्प नहीं।

ladies! Gentlemen! -Perundevi-English Translation N. Kalyan Raman

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