चुंबन की कविताएं

अनुवाद- राजेश कुमार झा

चुंबन (डोरियन लॉक्स)

पार्क में बेंच पर बैठे चूम रहे हैं वे,
पुरानी खाट के कोर पर बैठे चूम रहे हैं वे,
चूम रहे हैं वो घर की दहलीज़ या मंदिर के चबूतरे पर।
गलियों में जब उड़ रहे हैं रंग बिरंगे ग़ुब्बारे,
या सड़क पर क़दमताल कर रहे हैं फौजी-
वे चूम रहे हैं।

सदियों से चूम रहे हैं वे-
सूरज और तारों की छाँव में,
सूखे पेड़ के नीचे, छाते के अंदर, खंडहरों के बीच,
चूम रहे हैं वे।

हां, चूम रहे हैं वे,
जब ईसा मसीह जा रहे थे ढोकर अपनी सलीब,
गांधी गुनगुना रहे थे अपना भाषण,
जब गोलियाँ जा रही थीं मासूम बच्चे के पवित्र हृदय के पार,
चूम रहे थे वे।

वे चूम रहे हैं,
चल रहा है उनका गहरा, उत्तप्त, आकाश सा चुंबन,
ढूँढ रहे हैं वे जिह्वा की चुप्पी के भीतर कुछ,
तालु के ऊपरी हिस्से में तलाश रहे हैं निःशब्द,
भूखे हैं वे ज़िंदा मांस के लिए, इसलिए
चूम रहे हैं वे।

भले ही कारों की हो रही हो टक्कर या बरस रहे हों बम,
सफ़ेद धुएँ में पैदा हो रहे हों रोते बिलखते बच्चे,
मोजार्ट झुक कर पी रहे हों अपना सूप और
स्टालिन झुके हों अपने बगीचे में,
चूम रहे हैं वे।

चूम रहे हैं वे,
ताकि दुनिया फिर से शुरू हो सके,
अब उन्हें कोई रोक नहीं सकता,
जारी रखेंगे वे अपना चुंबन,
भले ही सूज जाए उनके होंठ,
सुखद स्पर्श से उनकी जीभ चलने लगे तेज़,
पी लें होंठों का शहद।

मैं यक़ीन करना चाहती हूँ कि 
वे चूम रहे हैं ताकि बची रहे दुनिया,
मगर ऐसा नहीं है,
वे तो बस समझते हैं प्यार का स्पर्श और ज़रूरत,
दो पैरों वाले शैतान,
एक दूसरे में चिपके होंठ जैसे खिल उठी हों कसमसाकर दो गुलाब की कलियाँ,
ढक रहे हैं वे अपने दांत,
मुश्किल हालातों में कर रहे हैं वही जो करना चाहिए उन्हें,
दुखदायी शब्दों को कर रहे हैं सीलबंद,
हमारे पापों के लिए हो रहे हैं शहीद।

दरकती हुई इस दुनिया में 
यह सरल और नायाब कृत्य वे कर रहे हैं पूरा,
एक दूसरे को बाँहों में भरकर,
चूम रहे हैं वे।

Kissing- Dorianne Laux – English Text
https://docs.google.com/document/d/1zEZGiK-FMFVc5VY2s0P5aeUyC9szoGXTywbwKqehCIc/edit?usp=sharing

चूम रहे हैं वे (नबीना दास)

बंदूक़ की नोक पर चूम रहे हैं वे
जानते हैं कि चूमते हुए वे नहीं पकड़े जाएँगे,
चूम रहे हैं वे,
मानो चिनार ने कभी नहीं देखा खून का बहना
देखा है तो बस होंठों की लाली।
आसिफा अब बड़ी हो चुकी है,
चूम रही है वह अपने प्रेमी को,
नाच रहे हैं उसके घोड़े,
घास में फैल गयी है ख़ुशी की उमंग,
खूबसूरत घाटी चली जा रही है अपनी रौ में,
क्योंकि वे चूम रहे हैं।

चूम रहे हैं वे-
बाढ़ के पानी में निर्बाध बहते डोंगी के ऊपर,
अपनी सितारों भरी नज़रों से देख रहे हैं वे,
चार की बलुआही मिट्टी कैसे बनती जा रही है खड़िया,
नाच रहे हैं वे,
गुनगुना रहे हैं वे अपना ‘मियाँ गाना’,
बुला रहे हैं अपने भूत प्रेतों और अगिनपाखी को,
मछलियों की ख़ुशबू से कर रहे हैं वे अपने जीभ को तर,
वे चूम रहे हैं।

चूम रहे हैं वे
क्योंकि नहीं बनना उन्हें-
जले हुए मांस का लोथड़ा,
भीड़ के हाथों मारे गए इंसान की लाश,
टूटे फूटे, क्षत विक्षत अंगों का ढेर,
लेकिन वे एक हो जाना चाहते हैं।

खून से लथपथ अपनी टोपी उल्टी पहनकर जुनैद,
चूम रहा है अपनी प्रेमिका को,
इशरतजहां बुलेट से छलनी अपना कुर्ता खींच कर नीचे,
इस परीकथा में अपने प्यारे राजकुमार का कर रही है चुंबन,
होंठ बन गए हैं शहद, जीभ हो चुका है गुलाब,
चूम रहे हैं वे हर कहीं,
हो भले ही सुदूर का माजिदभीठा, इंफाल, अनंतनाग, कंधमाल,
या हो रेलवे प्लेटफ़ॉर्म, बस अड्डा, पार्क, चाय की दूकान,
शहर की गली हो या फिर क़रीने से कटा आपका बगीचा,
हो बड़े दरवाज़ों के भीतर सुरक्षित, नंगा आपका मुहल्ला,
वे चूम रहे हैं,
इसके पहले कि कोई पेलेटगन छीन ले किसी बच्चे की आँख,
या आँखों में सपने लिए वो चरवाहा, हो जाए भीड़ के ग़ुस्से का शिकार,
बंद कर दें वे उसके दिल का धड़कना, लूट लें उसके आंसू।
यही है उनका आक्रोश,
साफ़ आसमान देखने का यही है उनका ख्वाब,
हाथ बन जाए पेड़ों की टहनियाँ,
शरीर बन जाए गरमियों में टिमटिमाते जुगनू,
उनके मुँह हो जाएं आज़ाद कि बोल सकें, ले सकें चुंबन,
उनकी जीभ चख सके प्यार का गर्म भात।
वे अभी, बिलकुल अभी चूम रहे हैं,
उन्नाव में, खम्माम में, कुनान-पोशपोरा में,
वे चूम रहे हैं,
इस सफ़े पर,
अपने धुँधलाते शब्दों और स्याही के धब्बों के बीच,
वे चूम रहे हैं,
क्योंकि यही है उनका विद्रोह,
यही है उनका गांव-शहर-मोहल्ला-देश,
उनका मानचित्र भी यही है और मज़हब भी।
भगवान के लिए बंद कर लो अपनी ज़ुबान,
वे तो बस चूम रहे हैं।

After Dorianne Laux’s ‘Kissing’- Poem by Nabina Das- Orignal English Text https://docs.google.com/document/d/1yI2x4R1QpQuFgnU5zeK1oej2PoyJuAf6AXH94idFV-c/edit?usp=sharing

कवि परिचय
डॉरिएन लॉक्स (Dorianne Laux) अमरीकी कवि। यह कविता उनके काव्य संग्रह ‘What We Carry’ से ली गयी है।
नबीना दास (Nabina Das) अंग्रेजी में लिखने वाले भारत के महत्वपूर्ण कवियों में शामिल। तीन कविता संग्रह- Blue Vessel, Into the Migrant City तथा Sanskarnama प्रकाशित। एक उपन्यास और लघुकथा संग्रह भी प्रकाशित।

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