अनुवाद- राजेश कुमार झा
ओटो रेन कैस्टिलो (१९३६-६७)- ग्वाटेमाला के क्रांतिकारी तथा कवि। १९५४ में ग्वाटेमाला में हुए फौजी सत्तापलट के बाद वे एल साल्वाडोर में निर्वासन में चले गए। उनकी कविताओं में क्रांतिकारी तेवर के साथ ही प्रेम जैसी भावनाएं की खूबसूरती भी दिखाई देती हैं। उन्होंने एक कवि और क्रांतिकारी के रूप में संपूर्ण जिंदगी जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया।
अराजनीतिक बुद्धिजीवी
ऐ मेरे मुल्क के अराजनीतिक बुद्धिजीवियों,
एक दिन होना पड़ेगा आपको कठघड़े में खड़ा,
देश के होरी-धनिया-कालू-मछंदर पूछेंगे आपसे सवाल,
जब मर रहा था देश, जैसे धीमे धीमे बुझती जाती है एक कमजोर सी अकेली लौ,
कहां थे आप ?
आपकी पोशाकों के बारे में ,
कोई भी नहीं पूछेगा सवाल,
न ही दोपहर के खाने के बाद आपकी लंबी नींद के बारे में होंगे सवाल।
शून्य के बारे में आपके खयालों की जद्दोजहद होगी लोगों के लिए बेमानी,
न ही वित्त-व्यापार के बारे में आपकी गहरी सोच का होगा कोई मतलब,
ग्रीस के मिथकों के बारे में आपसे नहीं पूछे जाएंगे सवाल,
न ही पूछेंगे लोग कि कितनी ग्लानि महसूस करते थे आप,
धीरे धीरे आपका अंतर्मन जब मरता गया था कायरों की मौत,
कोरे झूठ की छांव में खुद को जायज साबित करने की
बेहूदा कोशिशों के बारे में
नहीं पूछेंगे लोग आपसे सवाल।
उस दिन होंगे उपस्थित होरी धनिया कालू मछंदर जैसे लोग,
जिन्हें अराजनीतिक बुद्धिजीवियों की न किताबों में मिलती है जगह, न कविताओं में,
मगर जो पहुंचाते रहे हैं आपको अंडे, ब्रेड, सब्जियां,
जो चलाते रहे हैं आपकी कार,
जिन्होंने आपके कुत्तों, बाग बगीचों का रखा है खयाल,
किया है जिन्होंने आपके लिए काम,
वही होरी-धनिया-कालू-मछंदर पूछेंगे आपसे सवाल,
जब गरीब हो रहे थे हलकान, क्या किया आपने?
जब बुझ रही थी उनकी जिंदगी की लौ, हो रही थी तबाही, क्या किया आपने?
मेरे मुल्क के अराजनीतिक बुद्धिजीवियों,
आप नहीं दे पाएंगे जवाब।
कुरेद कर चुप्पी का गिद्ध नोंच लेगा आपकी बोटी,
बदबख्ती और तबाही डंसेगी आपकी आत्मा को
शर्मिंदगी कर देगी आपको बेजुबान।
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सुकून
संघर्ष में जिंदगी झोंक देने वालों के लिए
सबसे खूबसूरत होता है
आखिर आखिर कह पाना
कि मैंने यकीन किया जिंदगी में, लोगों में,
और नीचा नहीं दिखाया मुझे,
न जिंदगी ने, न लोगों ने।
ऐसे ही मर्द मर्द बनते हैं,
और औरत औरत,
संघर्ष में जुटे दिन रात,
लोगों के लिए, जिंदगी के लिए।
ऐसी जिंदगी जब होती है खत्म,
खोल देते हैं लोग अपने दिलों का सबसे गहरा दरिया,
हमेशा हमेशा के लिए जिसमें समा जाते हैं वे लोग,
खड़ी करते अपने दिलों की मिसाल,
और बन जाते हैं कहीं दूर दहकती ज़िंदा लौ।
संघर्ष में जिंदगी झोंक देने वालों के लिए
सबसे खूबसूरत होता है
आखिर आखिर कह पाना
कि मैंने यकीन किया जिंदगी में, लोगों में,
और नीचा नहीं दिखाया मुझे,
न जिंदगी ने, न लोगों ने।
http://bit.ly/SatisfactionEnglishText
ताकत से कहीं बढ़कर
अगस्त की एक तीखी सी शाम को
मैं तुम सभी से कह रहा हूं,
आज मैं सबसे ज्यादा उदास हूं।
तुम्हारे सिवा शायद किसी को नहीं मालूम मेरी प्रियतमा,
अब मैं हूं सिर्फ तुम्हारे अंदर सिसकियों का एक लंबा सिलसिला।
दूर, कहीं बहुत दूर,
अपने हमलों से , तुम्हारे बदन के अंदर मेरी खुशियों को तोड़ डाला है उन्होंने,
फिर भी वे नहीं समझ सकते मेरे हाथों को
जिसने अचानक ही फाड़ डाला
तुम्हारे चेहरे पर पड़ा अंधेरी हवा का नकाब।
II
वे नहीं चाहते कि मेरी नदियां,
बहें तुम्हारे भीतर
वे नहीं चाहते कि तुम्हारे पंख,
उड़कर पहुंच जाएं मेरे पास।
वे चाहते हैं तुम्हारे होंठो की थिरकन को करना नज़रअंदाज़,
रख दिया है सलीब उन्होंने उस नाम पर
जिसे चाहती हो दुहराना तुम बार बार इस धरती पर।
लेकिन मेरी प्रियतमा,
वे मिटा नहीं सकते तुम्हारी छाती की गहराइयों में बसे दिल को
जो धड़कती है मेरी नर्मी से,
गिरा नहीं सकते तुम्हें
मेरी नजरों की बुलंदी से।
वे दूर नहीं कर सकते तुम्हें मेरी ज़िंदगी से,
क्योंकि,
समुद्र की तरह मैं भी रखता हूं तुम्हारे नाम का एक कतरा,
अपने अंदर।
http://bit.ly/SomethingMorethanForceEnglishText
Read More about Rene Otto Castillo– A comprehensive and insightful review of Otto Rene Castillo’s life and work has been written by Anjan Basu for The Wire
https://thewire.in/world/rene-otto-castillo-the-guatemalan-poet-who-took-on-the-cia
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