वियतनामी कविता (ओशन वुओंग)

ओशन वुओंग- युवा आप्रवासी, वियतनामी कवि। जन्म-सायगोन, 1988. दो वर्ष की उम्र में मां के साथ अमेरिका आ गए। युवा कवि वुओंग अनेक साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित। वर्तमान में मैसचुसेट्स विश्वविद्यालय में अध्यापन। वुओंग की कविताओं में वियतनाम युद्ध की सामूहिक स्मृति का वीभत्स अनुभव परिलक्षित होता है। वुओंग की कविताओं में हिंसा और उसकी संभावनाओं की तीव्र अभिव्यक्ति दिखाई देती है। उनकी कविताएं अनुभव कराती हैं कि किस तरह हिंसा की उपस्थिति और स्मृति, इसकी
संभावनाएं व्यक्ति को तोड़ने और उसे अंदर से बदल डालने में सक्षम होती है।

Tyeb Mehta (Vietnam poems02
Painting by Tyeb Mehta

अनुवाद- राजेश कुमार झा

वियतनामी चुंबन

मेरी दादी चूमती है जब मुझे,
लगता है,
जैसे फट रहे हों बम घर के पिछवाड़े में,
चमेली और पुदीने की खुशबू
घुस रही हो रसोई की खिड़की से घर के अंदर,
जैसे कोई शरीर हो रहा हो क्षत-विक्षत कहीं दूर,
किसी किशोर की जांघों की महीन नसों से होकर,
जैसे वापस आ रही हो लपटें।
दरवाजे से बाहर निकलना,
जैसे नृत्य करती गोली,
हो रही हो शरीर के आर-पार।

मेरी दादी चूमती है जब मुझे,
होता नहीं चुंबन का तामझाम,
न ही भिंचे होंठों से आती पश्चिमी संगीत की सुरतान।
मेरी दादी चूमती है जब मुझे,
मानो अपनी सांसों पर बिठाकर कर लेती है अपने अंदर।
मेरे गालों से चिपके उसके नाक,
जैसे पहचान रही हो मेरी गंध एक बार फिर,
जैसे मेरे पसीने का मोती बनकर सोने की बूंद
दाखिल हो रही हो उसकी छाती के अंदर।

बांहों में भीचती है दादी तो लगता है जैसे
मौत कलाइयों पर दे रही हो दस्तक।
मेरी दादी चूमती है जब मुझे,
तो लगता है,
जैसे इतिहास खत्म न हुआ हो कभी
जैसे कोई शरीर हो रहा हो क्षत-विक्षत कहीं दूर।

(वागर्थ, अगस्त 2018 में प्रकाशित)

Kissing in Vietnamese-Ocean Vuyong-English Text

Manjit Bawa (Vietnam poem)3
Painting by Manjit Bawa

 

गृह विध्वंसक

और इस तरह हमने नृत्य किया-
मेरी मां के सफेद कपड़े घिसट रहे थे,
हमारे पैरों के नीचे,
बीत रहे अगस्त के महीने में हमारे हाथ,
हो रहे थे ठसक लाल।
और इस तरह हमने प्यार किया-
वोद्का की बोतल का पांचवां हिस्सा,
छत पर बिताई गई दोपहरी,
मेरे बालों को सुलझाती तुम्हारी उंगलियां-
मेरे बाल जैसे जंगल में लगी हो आग।

हमने बंद कर लिए अपने कान,
तुम्हारे पिता की झुंझलाहट जैसे बन गयी दिल की धड़कन,
हमारे होंठों ने जब किया स्पर्श,
दिन ढला जैसे बंद हो रहा हो ताबूत।
दिल के अजायबघर में बिना सर के दो धड़,
बना रहे हों जैसे जलता हुआ एक घर,
घर को गर्म करने वाली भट्ठी के ऊपर,
रखी होती है हमेशा एक बंदूक।
बर्बाद करने के लिए होते हैं हमेशा कुछ घंटे,
और फिर किसी भगवान से प्रार्थना-
कि वापस मिल जाए वह वक्त।

अगर छत पर नहीं तो कार में,
कार में नहीं तो सपने में ही सही,
अगर लड़का नहीं तो उसके कपड़े,
काम नहीं कर रहा हो तो रख दो नीचे फोन।
क्योंकि साल का मतलब होता है
गोल घेरे में तय की गयी दूरियां।

कहने का मतलब,
ऐसे ही नाचे थे हम,
सुप्त शरीर में एकाकी।
कहने का मतलब,
ऐसे ही किया था हमने प्यार,
जैसे जीभ पर रखी चाकू,
जो बनती जा रही जीभ।

(वागर्थ, अगस्त 2018 में प्रकाशित)

Home Wrecker-Ocean Vuyong-English Text

Haku Shah (Vietnami poems)1

पहले सर

तुम्हें पता नहीं कि औरत का प्यार
गुरूर को करता है नज़रअंदाज़ ,
जैसे
आग नज़रअंदाज़ करती है
जलती हुई चीजों से आती चीख।
मेरे पुत्र, तु्म्हें कल भी मिलेगा आज।

ऐसे लोग भी होते हैं,
जो छूते हैं स्तनों को जैसे  छू रहे हों खोपड़ी का कपाल।
ऐसे लोग भी होते हैं,
जो ढोते हैं सपने पहाड़ों के पार और लाशें अपनी पीठ पर।
लेकिन सिर्फ माँ ही चल सकती है लेकर बोझ
दो धड़कते दिलों का अपने अंदर।

बेवकूफ लड़के
तुम खो सकते हो हर किताब में,
लेकिन भूल नहीं सकते खुद को
जैसे भूल जाता है भगवान अपने हाथों को।

जब वे पूछते हैं तुमसे- कहां से हो तुम?
उन्हें बताओ,
जंग में शामिल पोपली बुढ़िया के मुंह की खुरचन से
बना है तुम्हारा नाम।
कि तुम्हारा जन्म नहीं हुआ है,
तुम निकले थे बाहर, पहले सर
कुत्तों की भूख के बीच।

मेरे पुत्र, शरीर होता है तलवार,
काटने से बनता है जो और भी धारदार।

(वागर्थ, अगस्त 2018 में प्रकाशित)

Head first-Ocean Vuyong- English Text

Manjit Bawa (Vietnam poem)4
Painting by Manjit Bawa

मेरे पिता जेल से लिखते हैं

लैंग ओय, ऐम क्वैकम,
यो ऐम डोगाडॉम, अन्यो ऐम वा कौंग वा
होंग नोम।

कुछ ऐसी बातें जो सिर्फ अंधेरे में कह सकता हूं मैं-
जैसे कि उस वसंत,
उड़ती तितली को मसल डाला था मैंने
सिर्फ यह जानने कि कैसा लगता है,
अपने हाथो में चीजों को बदलते देखना।

यही हैं वे हाथ,
जो जग उठते हैं उन रातों को
जब छूता है इन्हे संगीत या शायद बारिश की बूंदें,
संगीत के अंदर घुल जाती हैं स्मृतियां।

यही हैं वे हाथ,
छूना चाहते हैं जो काई लगे मंदिरों के अंदर बसी
सुहागन फूल की खुशबू,
मरे हुए चूहे की आंख में फंसा भोर का एक कतरा।

तुम्हारी आंख जैसे छूने वाले हों मेरे हाथ,
जिसने उस लड़के के कंपकंपाते गालों में सटाकर,
दबा दिया 9 एमएम बंदूक का घोड़ा।
उम्र थी मेरी बाइस साल तब,
पता नहीं था मुझे कि खाली थी बंदूक।
कितना आसान था चला जाना।

यही हैं वे हाथ,
चलायी है जिसने आरी, सबसे नीली चार बजे की सुबह पर,
चीखने लगे थे चमगादड़,
सेमल के पेड़ झोंक रहे थे बुरादे हमारी आंखों में,
इसके पहले कि एक दो गिर पड़े थे जमीन पर,
नीले अंधेरे में धंसे थे बुरादे,
जब तक एक या तीन लगे भागने,
अपने मुल्क से अपने मुल्क की तरफ।

एके 47 भगवान जो रोक सकता हैसुहागन के फूलों को,
कैसे बंद करूं सुहागन को,
जो खिलती है हर सुबह मेरी खिड़की के बाहर।

एक लाइटहाउस है कहीं,
किसी किसी रात तुम होती हो लाइटहाउस,
तो किसी रात समुद्र,
इसका मतलब है कि मेरी चाहत या कहो जरूरत है इतनी,
कि टूटता रहूं रोज और फिर बन कर नया आ जाऊं वापस,
भूलता रहे मेरा मस्तिष्क, शरीर के जीने का अपराध,
फिर लैनओर या लैनओई, क्या फर्क पड़ता है?

जेल के दूसरे कमरे में बंद कैदी
गिड़गिड़ाता है हर रात बस एक बूंद मां की छाती के लिए,
शायद मेरी आंखें भी हैं उसी के जैसी,
देखती रहती है लाइट हाउस से रात को रक्तशून्य होता, रोज,
रायफलों की अनगिनत चोट खाए मेरे चेहरे पर पहना मुखौटा
दरकाती रहती है ये रात।

लैन ओई, लैन ओई, लैन ओई।
मैं बहुत भूखा हूं- एक कटोरी भात, एक कप तुम,
घड़ी पहने मेरी प्रेयसी की एक बूंद,
1988 में फंसी मेरी प्रतिध्वनि।

आज की रात बहुत सर्द है जेल का कमरा,
और कुछ बातें हैं ऐसी जो मैं कह सकता हूं तभी,
जब आएं न तितलियां,
फड़फड़ाएं न अपने पंख, पेशाब से गीले फर्श पर।

एक काल्पनिक स्त्री के कतरे को पाने,
तुम्हारी हथेलियों के बराबर खिड़कियों से,
मैंने चिपका रखा है अपना मुंह,
तट से कहीं दूर मटमैली सुबह
उठा देती है तुम्हारी बैगनी पोशाक का किनारा,
और धधक उठता हूं मैं।

(वागर्थ, अगस्त 2018 में प्रकाशित)

My father writes from Prison- Ocean Vuyong-English Text

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Butcher by Francis Souza

वह तस्वीर
( 1968 में दक्षिणी वियतनाम के पुलिस प्रमुख ने वियतकोंग के एक गुरिल्ला को सड़क पर सरे आम बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के गोली मार दी थी। इस घटना की तस्वीर दुनिया भर में प्रसारित हुई थी। यह कविता उसी तस्वीर के संदर्भ में लिखी गयी है)

सबसे तकलीफदेह यह नहीं होता कि
कैमरे का फ्लैश किस तरह मौत को बना देता है स्थायी,
या कितनी विद्रूप होती है धूप में चमकती बारूद।
तकलीफदेह होता है जानना कि-
जिन हाथों ने थाम रखी है बंदूक,
वे पीले हाथ हैं।
बंदूक की नली के पीछे निशाना साधता चेहरा,
पीला चेहरा है।
हर तस्वीर की तरह ये तस्वीर भी,
नहीं कर पा रही तस्वीर का खुलासा,
जैसे कि उसकी खोपड़ी में जहां घुसी गोली,
रोशनी में गुम हो गया गुलाब का एक प्रेत।
या जब उस बेवकूफ के सर के पीछे छंटा धुआं,
जिसके पैरों के पास था मरा कुत्ता,
गालों पर थे खून के छींटे
तो दिखा,
सिगरेट सुलगाता गोरा।

Photo-Ocean Vuyong- English Text

Jehangir Sabavla (vietnam poem)
Painting by Jehangir Sabavala

प्रेमी

अपने चाहने वालों से झूठ बोला हमने।
तुम्हें जाना था बाइबिल पढ़ने,
और मुझे देखना था सितारे, जो दिखे नहीं कभी,
मगर घंटे की दर से किराए पर लिए कमरे के अंदर,
पीते रहे हम एक दूसरे की सांस।

अनजान है हम यहां,
वजूद नहीं हमारा, न कोई पहचान,
आसान है छुप जाना चादर के भीतर
जिनसे आती है सिगरेट की गंध
और वेश्याओं के पसीन की बू।

हमदोनों गुमनाम, नंगे बदन करते हैं संभोग,
दो लोग -शरीर जिनके हैं दिखाने के लिए नाकाफी,
जिन्हें अंधेरे में ही महसूस करना होता है
जांघों के भीतरी हिस्से की नर्मी।

हमारे वजन से चरमरा रहा है बिस्तर
और दूसरे कमरे में ट्रक ड्राइवर,
घुटने पर टंगी है जिसकी पतलून,
सटाकर दीवार पर अपने कान सुन रहा है
उस औरत की आवाज जो कभी थी ही नहीं यहां।

समाप्ति। पहने कपड़े चुपचाप,
दी एक दूसरे को अटपटी सी विदाई,
चले अपने अपने रास्ते,
तुमने थाम रखी थी हाथों में पिता की दी बाइबिल,
मेरे हाथों में थी चटकी हुई दूरबीन,
एक दूसरे के लिए छोटे होते जा रहे थे हमारे शरीर,
जैसे जैसे शामिल होते जाते,
उनकी ज़िदगी में जिन्हें अब जानते नहीं हम।

Paramour-Ocean Vuyong- English Text

***

 

 

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