(अनुवाद- राजेश कुमार झा)
अर्जेंटीना
(नेस्टर परलोंघर)
कवि-परिचय- जन्म 1949, मृत्यु 1992- एड्स से। नेस्तर पेरलौंघर की ख्याति कवि, समलैंगिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले जुझारू राजनीतिक व्यक्ति की थी। वे 1970 से अर्जेंटीना में चल रहे समलैंगिक अधिकारों के आंदोलन में शामिल रहे थे। उन्होंने पुरुष-वेश्याओं का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन भी प्रकाशित किया था। अर्जेंटीना में फौजी शासन आने के बाद 1976 से उन्होंने ब्राजील में निर्वासित जीवन बिताया। उनकी रचनाओं को जटिल अर्थों वाला माना जाता है जिसके अंदर अर्थों की कई परतें होती हैं। नेस्तर पेरलौघर का मानना था कि 1970 के दशक में लैटिन अमरीका के कई देशों में कविता के जिस स्वरूप का उदय हुआ उसका कारण वहां फौजी तानाशाही का फैलना था। तानाशाही व्यवस्था के अंदर कविता ही प्रतिरोध के साधन के रूप में बची रहती है।
उनकी कविताएं मनुष्य की ऐंद्रिक इच्छाओं की पूर्ति के इर्द गिर्द पनपने वाले समूहों की कविता थी। पेरलौंघर अपने को ऐतिहासिक अवां-गार्द परंपरा का कवि मानते थे जो उनकी काव्य शैली, सौंदर्यशास्त्र और कथ्य के चयन में परिलक्षित होती है। पैरलोंघऱ की कविता में अभिव्यक्त सौंदर्य इसे सेक्सुअलिटी से जोड़ते हुए ऱाजनीतिक संघर्ष तक ले जाता है।
पेरलौघर अर्जेंटीना के सर्वाधिक मौलिक और प्रभावशाली कवियों में गिने जाते हैं।

बावेरिया के नाजियों के लिए प्रेमगीत
मर्लिन डाइट्रिच ने
लंदन में गाया था गाना, युद्ध के दौरान-
‘ओ, नहीं, नहीं, पता नहीं करती हो तुम मुझे प्यार
ओ, नहीं, नहीं, पता नहीं, करती हो तुम मुझे प्यार।‘
नेल्सन, तुमने सिर्फ अपने पिता को किया था प्यार,
जो मरे थे ट्रैफ्लगर में।
तुम्हारा प्यार था संदिग्ध,
आखिर तुम्हारे पिता ठहरे एक नाजी।
नाजियों की दोस्ती का उत्कर्ष था वह।
खेलते थे टेबुल के नीचे हम,
जर्मन फौजियों को मारने का खेल।
पर मैं बैठता था तुम्हारे पास नेल्सन,
तुम जो थे नाजियों के एजेंट,
और तुमने मारा था मुझे बहुत।
ओ, नहीं, नहीं, पता नहीं करती हो तुम मुझे प्यार
हां, हां, मारा मुझे तुमने हमेशा।
बड़े दिखावे के साथ मांगी थी तुमने मुझसे माफी,
कंधे पर रखा था मेरे गर्म,ऊनी चादर,
और हम करने वाले थे प्यार,
वहीं छत पर।
लेकिन तुमने देख ली रखी एनी फ्रैंक, ओह!
‘ओ, नहीं, नहीं, पता नहीं करती हो तुम मुझे प्यार
हां, हां, मारा मुझे तुमने हमेशा।‘
हेल, हेल, हेल, यहां या कहीं दूर किसी कहानी में-
तुम हो नाजी जासूस,
हो रेगिस्तान में जलते रेत की तरह,
रोमेल की फौज की पिस्तौल।
मेरी गांड या डूबते सूरज या चमकती गोधूली में,
मरने आया ऊंट, जैसे पहुंच गया हो नखलिस्तान,
और अपनी आंतों में महसूस की थी मैंने,
तुम्हारे स्वस्तिक की हलचल।
ओह, ओह, ओह।
Love Song for Nazis in Bavaria-Nestor Perlongher-Argentina- English Text
बावेरिया के नाजियों के लिए प्रेमगीत-नेस्टर पेरलोंघर-Text Only
लाशें (एक अंश)
झाड़ियों के नीचे,
खाली जमीन में,
पुलों पर,
लाशें हैं।
कभी नहीं रुकने वाली ट्रेन की धड़कन में,
डगमगाते जहाज के गुजरने के बाद,
छोटी-छोटी,उठती और गायब होती तरंगों में,
रेलगाड़ी के प्लेटफॉर्म पर,
मचानों पर, दीवारों पर,
लाशें हैं।
मछुआरों के जालों में,
दलदली केंकड़ों के बिलों में,
खुली हुई क्लिप में उलझे लड़की के बालों में,
लाशें हैं।
इस अनुपस्थिति की जरूरत में,
इस शब्द के खास अर्थ में
आपकी दैवी उपस्थिति में,
फौजी तमगों में, कमांडेंट,
लाशें हैं।
Corpses-Nestor Perlongher-Argentina- English Text
लाशें-नेस्टर पेरलोंघर-अर्जेंटीना-Text Only
(Published in Wagarth, October 2017)
कोलंबिया
(पीदाद-बोनेट)
कवि परिचय- जन्म कोलंबिया। 1951। कवि, उपन्यासकार और नाटककार। उनकी कविताओं के अबतक आठ संकलन प्रकाशित। पीदाद कोलंबिया के आधुनिक स्त्रीवादी कवियों में एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर मानी जाती हैं। उनकी कविताओं में हिंसा और संघर्ष में डूबे देश की मध्यवर्गीय औरतों के जीवन के अनुभव की अभिव्यक्ति हुई है। उनकी कविताओं का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
प्रार्थना
हे समुद्र में डूबे जहाजों के देवता,
अपने दिनों के लिए नहीं मांगती हूं,
प्यास बुझाने को पानी-
मांगती हूं तुमसे प्यास।
नहीं मांगती हूं सपने,
दे दो मुझे सपनों की चाहत।
रातों के लिए,
दे दो मुझे सारा अंधकार
डुबो दूं जिसमें मैं अपना सारा अंधेरा।
Prayer-Piedad Bonnet-Colombia-English Text
एक इंसान की जीवनी
मेरे पिता अपने पैदा होने के बाद बहुत जल्द डरने लगे थे,
लेकिन उन्हें याद आ गए मनुष्य के कर्तव्य,
जिसने उन्हें सिखाया-
प्रार्थना, बचत और काम।
बहुत जल्द मेरे पिता अच्छे इंसान बन गए,
(असली इंसान- जैसा कि मेरे दादाजी कहते थे)
कुत्ते की तरह मुंह पर बंधी जाली, घिघियाते।
लेकिन गहरे मन के अंदर बना रहा डर।
ओ मेरे पिता,
लड़कपन में थी उनकी उदास आंखें,
बुढ़ापे में उनके हाथ थे उतने ही शांत और स्वच्छ,
जैसे होती है सुबह की चुप्पी।
हमेशा छायी रहती थी चेहरे पर अकेलेपन की छाया।
इसीलिए जन्म लेते ही,
उनके बेचैन मन ने दे दिया मुझे
वो सब जो वे समझ पाए,
जिसमें शामिल था प्यार से दिया अपना डर।
मेरे पिता ईमानदार इंसान की तरह, ,
हर सुबह करते थे काम ।
जब भी मुमकिन हो पाता, वे उठते थे हर रात,
और ले आते किश्तों में थोड़ी सी मौत,
जिसे चाहते थे वे हमेशा।
बड़े हिसाब से चुकाते थे इसकी कीमत,
साल दर साल- रहकर निडर,
एक ईमानदार आदमी की तरह मेरे पिता।
Biography of a fearful Man-Piedad Bonnet-Colombia-English Text
दुनिया की सल्तनत के बारे में
मैं उस लड़की की बात कर रही हूं
जिसका चेहरा आग से बदरंग हो चुका है,
रोशनी की दो खिड़कियों की तरह,
तनी हुई दो सुंदर छातियां हैं उसकी।
मैं उस अंधे लड़के की बात कर रही हूं,
जिसकी मां रंगों के लिए इजाद करती है शब्द।
कटे होँठों वाले उस चुंबन की बात कर रही हूं,
जो दिया न जा सका कभी।
उन हाथों की बात कर रही हूं,
जो न जान सके कि हल्की बारिश होती है वैसी ही नाजुक,
जैसे किसी चिड़िया की गरदन।
उस बौड़म लड़के की बात कर रही हूं,
जो निहार रहा है ताबूत,
जिसमें दफन होने वाले हैं उसके पिता।
मैं ईश्वर की बात कर रही हूं,
गोले की तरह पूर्ण,सर्वशक्तिमान,ज्ञानी और न्यायप्रिय।
Of the Kingdom of this World-Piedad Bonnet- Colombia-English Text
बोलीविया
(एडमंडो कामार्गो)
कवि परिचय- जन्म 1936। मृत्यु 1964। बोलिविया। कम उम्र में मृत्यु के बावजूद एडमंडो कामार्गों को बोलिविया के महत्वपूर्ण कवियों में गिना जाता है। उनकी कविताएं अनूठे बिंबों के साथ साथ अतियथार्थवादी विषयों के चुनाव के लिए जानी जाती हैं।
अदृश्य आबादी
मैं मरना चाहता हूं धरती के नीचे,
नमक से अनंत काल तक बातें करता।
मेरे बाल हों जड़ें, मेरे शब्द मिट्टी।
मुर्दो के शहर में,
बुआई करती तुम्हारी आंखों की चोट से दूर,
जहां मेरा मुंह हो चुका हो बंद।
तेज बारिश की दुनिया,
जहां पके बालों की मिठास हो स्मृतियों से भी मीठी।
जिस दिन छुआ जाएगा मेरा जीभ
कोमल हाथ सिलेंगे मेरी हड्डियां।
मैं महसूस करना चाहता हूं,
इस गोल धरती को अपनी हड्डियों में,
काटना चाहता हूं इसे ठंढ से,
अपनी जांघों से पीसना चाहता हूं,
महसूस करना चाहता हूं इसकी नाभिनाल में खुद को।
मेरी आंखें हैं बंद, जैसे सील लगी पुरानी चिट्ठी,
आंखों से झरता है पानी, बुरादों की तरह।
पेड़ पर अटका है वसंती कब्र का पत्थर,
और मेरी हड्डियों को कुरेद रहा,
वक्त का पिस्सू।
UNDERGROUND POPULATION-Edmundo Camargo-Bolivia-English Text
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