अनुवादः राजेश कुमार झा
जॉर्ज टेलियर (1935-1996)
जॉर्ज टेलियर को चिली के सर्वश्रेष्ठ कवियों में गिना जाता है। वे चिली के आधुनिक साहित्यिक परिदृश्य के स्तम्भ माने जाते हैं।
टेलियर अवसाद और स्मृति को उकेरने वाले कवि के रूप में जाने जाते हैं लेकिन आनंद के बारे में लिखी हुई उनकी कविताएं भी उतनी ही बेहतरीन मानी जाती है। टेलियर अपनी कविताओ के लिए ऊर्जा रोजमर्रा की चीजों से ग्रहण करते हैं। कविता के बारे में टेलियर का कहना है कि उसका सबसे महत्वपूर्ण पक्ष सौंदर्यगत नहीं होता। कविता मिथकों को रचती है। यह एक ऐसे काल और स्थान का सृजन करती है जो हमारी आम जिंदगी से पैदा होकर भी उससे परे होती है।
स्पैनिश भाषा में लिखी उनकी कविताओं का अनुवाद फ्रेंच, इटालियन, स्वीडिश और रोमानियन सहित कई भाषाओं में हो चुका है। उनकी दो कविताओं का हिंदी अनुवाद।
दुनिया का अंत
जिस दिन दुनिया का अंत होगा,
वह दिन होगा बिलकुल साफ और व्यवस्थित,
जैसे कक्षा के सबसे अच्छे छात्र की नोटबुक।
शहर होगा पीकर मस्त,
पड़ा हुआ नाले में।
गुजरेगी एक्सप्रेस गाड़ियां,
स्टेशन पर बिना रुके,
फौजी रेजिमेंट का बैंड
बीसों साल से चौराहों पर बज रहे धुन का,
करता रहेगा अभ्यास लगातार।
बस कुछ बच्चे,
टेलिफोन के खंभों पर
छोड़ देंगे अपनी उलझी हुई पतंगें,
रोते हुए भागेंगे अपने घरों को,
पता नहीं होगा उन्हें,
कहना क्या है माँ को।
और मैं मुसम्मी के तने पर
उकेरूंगा अपने दस्तखत,
वैसे पता होगा मुझे,
कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
शहर के छोर पर खाली मैदान में
बच्चे फुटबॉल खेलेंगे,
पवित्र संप्रदायों के लोग,
निकल आएंगे बाहर
गाएंगे गली के नुक्कड़ पर गाना।
पगली बुढ़िया,
सड़क पर छाता लेकर गुजरेगी
और मैं खुद से कहूंगा,
दुनिया खत्म नहीं हो सकती
क्योंकि सामने मेरे आंगन में
कबूतर और गोरैया झगड़ रहे हैं
दानों के लिए, अब भी।
End of the World-Jorge Teillier-English Text
मुर्दों से बातचीत के लिए
मुर्दों से बातचीत के लिए
चुनने पड़ते हैं शब्द,
जिन्हें वे पहचान सकते हों
उतनी ही आसानी से
जैसे उनके हाथ पहचान लेते हैं
अंधेरे में भी अपने कुत्ते के बदन के रोएं।
शब्द जो हों स्पष्ट और शांत,
जैसे, शराब के प्याले में कैद
उफनती बारिश का पानी,
जैसे मेहमानों के जाने के बाद
माँ करीने से सजाकर रख देती है कुर्सियां।
शब्द जिन्हें सहेज कर रखती हैं रातें,
जैसे दलदल संजो कर रखती है अपने अंदर आग।
मुर्दों से बातचीत के लिए,
आपको होना चाहिए इंतजार का हुनर-
क्योंकि वे हैं डरे हुए,
पहला कदम उठाते बच्चे की तरह।
अगर सब्र हो हमारे अंदर-
तो टूटे आइने में बंद पोपलार के पत्तों से,
भट्ठी में अचानक धधक आई ज्वाला से,
चिड़ियों की अंधेरी वापसी से,
और दहलीज पर इंतजार कर रही-
लड़की की कनखियों से पहले,
एक दिन सुनेंगे वे हमारी बात।
बहुत ही बढ़िया कवितायेँ और अनुवाद।
पढ़ते समय एक बार भी नहीं लगा कि अनुवाद है बस पढ़ता चला गया अन्त तक।
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Reblogged this on गोष्टी सुरस आणि मनोरंजक व बरच काही and commented:
अनोखी कविता चिली के कवीकी
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