क्वामे दावेस की कविताएं (1)

अनुवाद-राजेश कुमार झा

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क्वामे दावेस- जन्म 1962। घाना। उन्होंने अपना बचपन जमैका में बिताया। वे कैरिबियाई संगीत और लय, खासकर रेगे संगीत से गहरे तौर पर प्रभावित हैं। आधुनिक अफ्रीकी कवियों में उनकी आवाज की एक खास पहचान मानी जाती है। कवि, आलोचक, कलाकार, तथा संगीतकार के रूप में प्रतिष्ठित क्वामे दावेस अनेक साहित्यित पुरस्कारों से सम्मानित हैं। उनकी कविताओं की लयात्मकता एक खास प्रभाव छोड़ती हैं।

कहते हैं कि क्वामे दावेस की कविताएं हमें सिखाती हैं कि बिना टूटे, विलाप कैसे करें। क्योंकि उनकी कविताएं तब पढ़ी जानी चाहिए जब आप कमरे में अकेले हों और बातें खत्म हो चुकी हों।

तूफान का बच्चा हूँ मैं  

स्याह रंग की धधक की तरह आता हूँ मैं,
काली बना देता हूँ तुम्हारी देह।
मेरी अंतड़ियों में ही उफनता है ये सब।
उठा लेता हूँ, तुम्हें और तुम्हारे सामान को,
चला जाता हूँ लेकर, जहाँ गए नहीं तुम कभी।

और अगर अच्छा लगा मुझे, शायद ले आऊँ वापस,
होगे उस वक्त भी तुम-
गरमाहट से भरे, थोड़े डरे, सहमे।
होगी धड़कनें तेज, बेकाबू
जैसे चिड़िया ने वक्त से पहले भरी हो उड़ान,
अचानक, ऊँची।

तूफान का बच्चा हूँ मैं,
कुदरत की ताकत थर्रा देती है मुझे,
कड़कती है बिजली तो काँप उठता है अंतस्तल मेरा।
याद करता हूँ, माँ के गर्भ से निकलना,
सिकुड़न धीरे धीरे तब्दील होती दर्द भरी चीखों में,
तूफानी रात के घुप्प अंधेरे में,
धकेला जाना, कोख से बाहर।

तूफान का बच्चा हूँ मैं,
दूर से पहचान सकते हो मुझे,
मेरे पगले बालों से,
नहीं सुनते किसी की बात,
कर लो कोशिश भले जितनी,
चटाई के मानिंद घने, मेरे बाल।
शोर मचाते, मेरे बाल।
साफे में करूँ बंद, मगर बेकाबू, मेरे बाल।

तूफान का बच्चा हूँ मैं,
बादलों की घिर्र घिर्र के बीच जनमा,
बिखर गया था केंद्र,
मैं पैदा हुआ था जब।
मेरे आशिकों को पता है,
बदहवाशी के धमाकों के बीच, जब देता हूँ उन्हें,
काँप जाते हैं वे मेरी जाँघों के लरजते चाबुक से।

काटोगे गर मेरा रास्ता, हो जाओगे बर्बाद,
क्योंकि निगल जाता हूँ मैं रोशनी को।
क्रोध की ऊष्मा जब नचाती है मुझे,
मेरी वर्तुल गति से स्पंदित-
झुक जाते हैं देवदार के पेड़।

तूफान का बच्चा हूँ मैं,
सवार हो जाती है आत्मा जब मेरे सर पर,
घुस जाता हूँ उफनती सफेद चादरों के महाशून्य में,
और भर देता हूँ
अपने संगीत के अंदर,
उमड़ते रंगों का जखीरा।

Tornado Child by Kwame Dawes (original English Text)

(वागर्थ, अगस्त 2017 में प्रकाशित)

***

मृत्यु

पहले आपका कुत्ता मरता है।
आप ऊपरवाले से प्रार्थना करते हैं कि
बोड़ी में पड़ा निर्जीव लोथड़ा जी उठे।
लेकिन भगवान का नाम जादुई छड़ी नहीं होता।
शाम हो रही है,
मक्खियां भिनभिनाने लगी हैं।
इसी तरह आस्था की मौत होती है।

सुबह होते होते आप मौत को जान जाते हैं-
यह किस तरह आती है और धीरे धीरे चुप हो जाती है।
मौत जीत जाती है।

फिर आप कंटीले पौधों की बाड़ के पीछे जाते हैं,
और एक काली बिल्ली को उंगलियों से टटोलते हैं।
उसे चटखारे लेने देते हैं,
अपने हाथों के पोरों से उसे दूध छलकाने देते हैं।
फिर शुरू करते हैं आप उसका गला दबाना।
छटपटाने लगाती है बिल्ली,
धंसा देती है आपकी चमडी में अपने पंजे।
आँखें पसर कर हो जाती हैं जैसे तस्तरी।
मुर्दा बिल्ली उतनी ही हल्की होती है जितनी जिंदा,
अकड़न नहीं आई है उसमें अब तक,
पूंछ पकड़ कर फेंक देते हैं आप-
जितनी दूर मुमकिन है उतना।
पहले कौओं को इसका पता चलता है,
तब तक सूअरों की बदबू ढंके रखती है मौत की फफूंद।

अब आप जान चुके होते हैं मौत की ताकत,
क्योंकि आपके पास है-
वह ताकत।
आप पल भर में ले सकते हैं किसी की जान,
और दूसरे ही दिन जगा सकते हैं, उसकी जान फिर से।
इसी लिए मौत से डर नहीं सकते आप-
कुंएं में गिरे इंसान की टूटी गर्दन आपने देखी है।
आप जानते हैं किसने धक्का दिया उसे कुएं के मुंह पर।
आप बखूबी जानते हैं जमीन पर पसरे खून के धब्बों को।
पता है आपको कि मरा हुआ कुत्ता, मरी हुई बिल्ली होती है।
मरी हुई बिल्ली, मरा हुआ इंसान होता है।

अब आप एक गोरे आदमी की आँख में आँख डालकर देखते हैं।
उससे कपास की कीमतों के बारे में बातें करते हैं।
और जमीन के दाम के बारे में भी।
उसके सामने मुँह फाड़, ठठाकर हँसते हैं।
वह आपके बारे में जानता है एक बात,
कि आपको मौत की ताकत का पता है-
कि आपके लिए मरना उतना ही आसान है, जितनी जिंदगी।

ऐसे ही इंसान हासिल करता है, ताकत के बल पर अपनी चीज।
इसी तरह उलट पुलट देता है सपनों में दुनिया।
छक कर खाना खाता है।
इंतजार करता है मौत का, आएगी वह यूँ ही-
जैसे कि खुला आसमान,
या भोर में पसरी गुनगुनी रोशनी-
मानो लाल, धारीदार सूटबूट पहने,
सर पर काली हैट, पीला स्कार्फ लपेटे,
जेब में मर्दानगी जगाते इत्र से गमकता रूमाल रखे,
कोई इंसान कर रहा हो कोशिश-
कि हट जाए उसके मुंह से दुर्गंध- मौत की।

Death- Kwame Dawes (Original English Text)

(नया पथ, अक्टूबर 2017- मार्च 2018 में प्रकाशित)

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4 thoughts on “क्वामे दावेस की कविताएं (1)

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  1. अच्छी कविताएँ।उत्कृष्ट अनुवाद। हम तक पहुंचाने के लिए शुक्रिया

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  2. वाह सर। तूफान का बच्चा हूँ मैं… शानदार कविता

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