
(आनंद कुमारस्वामी की पुस्तक डांस ऑफ शिवा से उद्धृत)
अनुवाद- राजेश कुमार झा
विरक्त हो संसार से, मुक्ति का यह मार्ग नहीं मेरा।
संसार चक्र के शतबंधन से आबद्ध,
करूँ आस्वादन अनंतमुक्ति, अमृतरस का…
ध्वनि, दृश्य, गंध के हर स्पंदन से निःसृत,
करूँ रसपान तेरे परम आह्लाद का,
भाव व आसक्ति की चिंगारी से सिंचित होगी
धू धू कर उठती मुक्ति की महाज्वाला।
भक्ति की वाटिका में प्रस्फुटित होगा,
प्रेम का पुष्प, कोमल-सुमधुर, मेरा।
Ravindra Nath Tagore Poem(English) quoted in Anand Coomarswamy Book ‘Dance of Shiva
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